बहुत से लोगों को लगता है कि कार के शीशे काले कराने से उनका रुतबा बढ़ता है. वह कार के काले शीशों को स्वैग की तरह देखते हैं. कुछ सालों पहले एक समय ऐसा था जब बड़ी संख्या में युवा अपनी गाड़ियों के शीशे काले करवा लेते थे लेकिन अब ऐसा कम देखने को मिलता है. ऐसा इसीलिए, क्योंकि कार के शीशे काले करना गैर-कानूनी है. कार के शीशों पर जीरो विजिबिलिटी की ब्लैक फिल्म लगवाना यातायात नियमों के उल्लंघन के दायरे में आता है. ऐसा करने पर यातायात पुलिस चालान काट सकती है. लेकिन, अगर आप इसके बावजूद कार के शीशे ब्लैक कराना चाहते हैं, तो यह करा सकते हैं लेकिन नियम के दायरे में रहकर ही ऐसा कराना होगा. चलिए, इससे संबंधित नियम के बारे में बताते हैं.

दरअसल, नियम कहता है कि कार के शीशों को पूरी तरह से ब्लैक (काला) नहीं करना है. हालांकि, कुछ हद तक ब्लैक करा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मई 2012 में कारों के टिंटेड ग्लास (Black Glass) को लेकर फैसला सुनाया था. कोर्ट के आदेश के अनुसार, कारों के आगे और पीछे के शीशे की विजिबिलिटी कम से कम 70 फीसदी रहे. यानी, कार के आगे और पीछे वाले शीशे से कम से कम 70 फीसदी लाइट कार के अंदर आती रहनी चाहिए. वहीं, साइड ग्लास की विजिबिलिटी कम से कम 50 फीसदी हो. यानी, इनसे 50 प्रतिशत लाइट कार के अंदर आती रहनी चाहिए.

अगर ऐसा नहीं होता है तो यातायात पुलिस को चालान काटने का अधिकार है. इसीलिए, अगर आप अपनी कार के शीशे ब्लैक कराएं तो इसका ध्यान रखें. आप कार के साइड वाले शोशों पर 50 प्रतिशत विजिबिलिटी वाली ब्लैक फिल्म चढ़वा सकते हैं जबकि फ्रंट और रियर ग्लास पर 70 फीसदी विजिबिलिटी वाली ब्लैक फिल्म चढ़वा सकते हैं.