नई दिल्ली। करीब आठ बजे का वक्त था। उबर ड्राइवर प्रिंयका 9 जनवरी की रात एक कस्टमर की कॉल पर आईएसबीटी यानी कश्मीरी गेट की तरफ बढ़ रही थी। कोहरे की वजह से गाड़ी की स्पीड थोड़ी हल्की थी। तभी प्रियंका की कार के सामने दो आदमी खड़े हो गए। उन्होंने पत्थर मारकर कार का शीशा तोड़ दिया। प्रियंका घबरा गई । घबराहट में वो बाहर आई तो उन दो आदमियों में से एक ने प्रियंका को पकड़ लिया। दूसरा शख्स उसकी तरफ बढ़ा और उसका मोबाइल छीन लिया, उसके पर्स से पैसे और दूसरी चीजे निकालने लगा। प्रियंका ने जब विरोध किया तो इन दोनों बीयर की बोतल से उसपर हमला कर दिया जिसमें वो घायल हो गई। प्रियंका की गर्दन और छाती में चोटे आईं हैं। उसे दस टांके लगे हैं।
दिल्ली में हुआ अंजलि कांड भी रात होते ही महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है। 12 किलोमीटर तक अंजिल को कार से घसीटने वाले कंझावला कांड के आरोपी पुलिस की गिरफ्त में जरूर है, लेकिन पूरा सच अब तक सामने नहीं आ पाया है। 31 दिसंबर की रात अंजलि के साथ जो हुआ उससे पूरी दिल्ली दहल गई। स्कूटी में बैठी अंजलि को आरोपी अपनी कार से 12 किलोमीटर तक घसीटते रहे। 12 किलोमीटर दूर जाकर आरोपियों की कार से अंजलि की लाश सड़क पर गिरी।
दस साल पहले जब निर्भया कांड हुआ तो न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश को इसने झंकझोर कर रख दिया। ऐसा लगा कि शायद इस भयानक कांड के बाद कुछ बदलेगा। ऐसा लगा निर्भया की मौत शायद दूसरी लड़कियों की जिंदगी को सुरक्षित कर पाएगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अभी साल बीते महज 12 दिन हुए हैं, लेकिन दिल्ली की सड़कों पर हुई ये दो वारदातें दिल्ली में लड़कियों की सुरक्षा पर एक बार फिर सवालिया निशान लगा रही हैं।
घटनाएं होती हैं तो सरकार और प्रशासन जाग जाते हैं। कुछ समय तक प्रदर्शन होते हैं, प्रशाशन और पुलिस मुस्तैदी दिखाती है। मीडिया में रिपोर्ट छायी रहती हैं, लेकिन फिर वही सन्नाटा, फिर वही तुफान से पहले वाली शांति। तुफान किसी दूसरी बेटी के साथ होने वाला क्राइम का। बेटियों के नाम बदल जाते हैं कभी निर्भया, कभी अंकिता, कभी प्रियंका कभी कोई और, लेकिन हालात नहीं बदलते। ये बात दिल्ली का क्राइम ग्राफ भी बताता है जो हर साल बढ़ता हुई ही नजर आता है। एनसीआरबी के डाटा पर नजर डाले तो 2020 के मुकाबले 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 49 प्रतिशत बढ़े हैं। अगर कुल आपाराधिक मामलों की बात करें तो 2020 में जहां महिलाओं के खिलाफ 9782 केस दर्ज हुए वहीं 2021 में ये बढ़कर 13892 हो गए।
NCRB के मुताबिक 19 मेट्रो सिटीज में दिल्ली क्राइम ग्राफ में सबसे ऊपर है। दिल्ली के बाद मुंबई और बंगलुरू का नंबर आता है। इन डाटा में जो चौंकाने वाली बात थी वो थी कि साल 2021 में दिल्ली में एवरेज हर दिन दो नाबालिग लड़कियों के रेप की घटनाएं दर्ज होती है। जरा सोचिए ये वो मामले हैं जो दर्ज हुए हैं। अभी उनपर तो बात ही नहीं हो रही जो क्राइम तो हुआ, लेकिन केस दर्ज ही नहीं पो पाया।
आखिर क्यों रात में दिल्ली इतनी असुरक्षित होती जा रही है। देश की राजधानी दिल्ली जहां हर शहर से लड़कियां आती हैं, क्यों वहां पर देश की बेटियों की सुरक्षा तक के इंतजाम नहीं हो पाते। क्यों आज भी रात में महिलाओं को अकेले बाहर निकलने में डर लगता है। साल के शुरूआत में ही हुई ये दो घटनाएं फिर लड़कियों को डरा रही हैं और दिल्ली का क्राइम ग्राफ भी लड़कियों के डर को सही साबित कर रहा है। सवाल वही है कि क्या सरकारें और प्रशासनअपनी चिर निद्रा से जागेंगी।