
नई दिल्ली। देश में कोरोना का प्रकोप जारी है। हालांकि अब धीरे-धीरे कोरोना का असर घटता दिख रहा है और देश का आम जनजीवन भी ढर्रे पर आता जा रहा है, लेकिन इसी बीच एक ओर बीमारी की ओर से भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा देश के लोगां को सचेत किया गया है। इस बीमारी की चपेट में हालांकि 0 से 5 साल तक के बच्चे अधिक आ रहे हैं, लेकिन यह 16 साल तक के बच्चों को भी अपनी चपेट में ले सकता है।
भारत में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप अभी भी बरकार है लेकिन मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट में थोड़ी राहत की खबर आई। इसके मुताबिक देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 36 हजार 469 नए मामले सामने आए हैं, वहीं 488 लोगों की मौत हो गई। देश में कोरोना वायरस की मृत्यु दर लगातार घट रही है और अब मृत्यु दर 1.5 फीसदी हो गई है, वहीं रिकवरी दर बढ़कर 90.62 फीसदी हो गई है। यह पूरी जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से की गई प्रेस वार्ता के दौरान दी गई। हालांकि इस दौरान एक नई बीमारी का भी जिक्र किया गया।
प्रेस वार्ता में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि कावासाकी बीमारी एक ऑटो-इम्यून बीमारी है, जो 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है और यह भारत में न के बराबर है। मुझे नहीं लगता कि हमें भारत में अब तक कोविड-19 के साथ कावासाकी का कोई मामला सामने आया है, यह बहुत दुर्लभ स्थिति है। उन्होंने कहा कि भारत में 17 वर्ष से कम आयु वाले केवल 8 फीसदी बच्चे कोरोना पॉजिटिव हैं। इनमें भी पांच वर्ष से छोटे बच्चों की संख्या काफी कम है। कावासाकी नाम की यह बीमारी एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी है। इसमें शरीर पर चकत्ते और सूजन आने लगती है, साथ ही बुखार, सांस लेने में दिक्कतें और पेट से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। यह बीमारी मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है, लेकिन यह बड़ी उम्र के बच्चों (14-16 साल) को भी प्रभावित कर सकती है। इसकी वजह से बच्चों की रक्त कोशिकाएं फूल जाती हैं और उनके पूरे शरीर पर लाल चकत्ते निकल आते हैं। बच्चों को तेज बुखार के साथ ही उनकी आंखें भी लाल हो जाती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के कलावती सरन अस्पताल में बच्चों में कावासाकी से जुड़े लक्षण दिखे थे। सभी बच्चे पहले से ही कोरोना वायरस से संक्रमित थे। यहां के शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र कुमार का कहना था कि ’हालांकि बच्चों में कावासाकी जैसे लक्षण देखने को मिले हैं, लेकिन ये साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि वो इसी बीमारी से संक्रमित हैं।’ यूरोप में कई जगहों पर बच्चों में इस बीमारी के लक्षण देखे जा चुके हैं। मई महीने में ब्रिटेन में करीब 100 बच्चों के इससे संक्रमित होने की बात सामने आई थी। हालांकि इस बीमारी से पीड़ित ज्यादातर बच्चे ठीक हो गए थे और उन्हें घर भेज दिया गया था, लेकिन यह बीमारी कुछ बच्चों के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकती है और उन्हें आईसीयू में भर्ती कराना भी पड़ सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कुछ हफ्तों बाद ही बच्चों में इस बीमारी के लक्षण नजर आते हैं। ब्रिटेन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, हो सकता है कि ये बीमारी बच्चों के अलावा वयस्कों को भी प्रभावित कर रही हो। फिलहाल इसपर शोध जारी है।
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