मुज़फ्फरनगर : मतदान के बाद अब कयासों का दौर चल रहा है। भाजपा के लिए निर्णायक साबित होने वाले गठवाला खाप के गांवों में मतदान का गणित उलझा है।
मतदान के बाद अब कयासों का दौर चल रहा है। भाजपा के लिए निर्णायक साबित होने वाले गठवाला खाप के गांवों में मतदान का गणित उलझा है। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डॉ. संजीव बालियान ने अधिकतर बूथों पर बढ़त बनाई थी। इस बार सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक गठवाला खाप से ही आते हैं। ऐसे में यहां भाजपा-रालोद गठबंधन की भी अग्नि परीक्षा है।
बुढ़ाना विधानसभा के पहले बूथ करौदा महाजन से डूंगर तक लगातार गठवाला के 18 बूथ हैं। इसके बाद खरड़, खेड़ी गनी और मोहम्मदपुर राय सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण है। वर्ष 2019 में करौदा महाजन के तीनों बूथों पर डॉ. संजीव बालियान जीते थे।
सरनावली के एक बूथ पर मुकाबला लगभग बराबरी का रहा था, लेकिन दूसरे बूथ पर भाजपा को बंपर वोट मिले थे। खेड़ा मस्तान के एक बूथ पर अजित सिंह जीते थे। इस वीआईपी मुकाबले में गठवाला खाप भाजपा प्रत्याशी डॉ. संजीव बालियान के साथ खड़ी नजर आई थी।
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उमेश मलिक और रालोद के राजपाल बालियान के बीच इस क्षेत्र में कड़ा मुकाबला हुआ। खाप के प्रभाव वाले पहले 18 बूथ का आंकड़ा देखें तो करौदा महाजन के एक बूथ पर मामूली अंतर से राजपाल बालियान जीते और खेड़ा मस्तान के दो बूथ पर मुकाबला बराबरी का रहा था। अधिकतर बूथों पर भाजपा की ही जीत हुई थी।
इस बार भाजपा-रालोद ने चुनाव गठबंधन में लड़ा, लेकिन सपा के प्रत्याशी हरेंद्र मलिक गठवाला खाप से ताल्लुक रखते हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि वह अपनी खाप के गांवों में भाजपा के इस बड़े वोट बैंक में कितनी सेंधमारी कर पाते हैं।
मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट बुढ़ाना क्षेत्र में गठवाला खाप से शुरू होती है। करौदा महाजन, खेड़ा मस्तान, सरनावली, फुगाना, डूंगर, खरड़, कुरावा, खेड़ी गनी, मोहम्मदपुर राय सिंह खाप के प्रमुख गांव है।
गठवाला खाप के कुछ गांव मुजफ्फरनगर और कुछ गांव कैराना लोकसभा में आते हैं। खाप का प्रमुख गांव लिसाढ़ भी शामली का ही हिस्सा है। सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक की इस पूरे क्षेत्र में सक्रियता रही है। उनका बेटे पंकज मलिक भी शामली से विधायक रहे हैं।
गठवाला खाप के पहले 18 बूथों में सिर्फ तीन पर ही 60 प्रतिशत मतदान हुआ। यही नहीं करौदा महाजन गांव के तीन में से दो बूथ ऐसे हैं, जहां 50 प्रतिशत से भी कम मतदान हुआ।