मुजफ्फरनगर। मेरठ की जीएसटी टीम राना स्टील में मिले दस्तावेजों और पर्चियों को डिकोड करने में जुटी है। ऐसे में कहीं ज्यादा बड़ी टैक्स चोरी होने की आशंका है।

राना स्टील में तैयार एंगिल आयरन की सप्लाई पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जनपदों सहित हरियाणा, दिल्ली और अन्य राज्यों में भी होती है। लोहा उद्योग में फर्म का बड़ा नाम है। फर्म की ओर से प्रतिवर्ष 200 करोड़ का टर्नओवर दर्शाया गया है। जबकि कंपनी का उत्पादन उससे कई गुना अधिक है। इस अंतर की जांच में ही डीजीजीआइ मेरठ यूनिट की टीम लगी है। छापामारी करने वाली जीएसटी टीम ने कंपनी निदेशक को आवश्यक दस्तावेजों के साथ शुक्रवार को विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मेरठ की कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेजा गया।

वहलना चौक स्थित राना स्टील में डीजीजीआइ की डिप्टी डायरेक्टर श्रेया गुप्ता और अन्य अधिकारी पहुंचे तो शाह मोहम्मद राना ने दस्तावेजों को इधर-उधर करने का प्रयास किया। यहां से जो दस्तावेज जब्त किए, उनमें अवैध तरीके से आपूर्ति के सुबूत मिले हैं। कुछ ऐसे वाउचर भी बरामद हुए, जिनकी एंट्री एकाउंट में नहीं पाई गई। कच्ची पर्चियों के दस्तावेजों को लेकर ही राना ने फरार होने का प्रयास किया था।

जीएसटी अधिकारियों ने बरामद दस्तावेजों की जांच के बाद राना स्टील में कच्चे माल की खरीद और उत्पाद बिक्री में भारी अंतर पाया। करीब तीन दशक पुरानी राना स्टील में एंगिल आयरन का उत्पादन होता है। जीएसटी टीम ने सबसे वहले कंप्यूटरों में दर्ज सेल्स और परचेज का हिसाब अपने कब्जे में लिया।

बरामद दस्तावेजों में कागज की सादी पर्चियों पर हैंड राइटिंग में लेन-देन का ब्योरा दर्ज मिला। जीएसटी अधिकारियों ने अधिकतर ब्योरा डिकोड कर लिया। माना जा रहा है कि बरामद दस्तावेजों की जांच में दो वर्ष के दौरान 20 करोड़ से अधिक की जीएसटी चोरी सामने आई है।