नई दिल्ली। सर्दियों का मौसम बहुत लोगों को अच्छा लगता है. वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जिन्हें ये अपने साथ लाई बीमारियों की वजह से बिल्कुल रास नहीं आता. ठंड के मौसम में सर्दी-जुकाम होना आम बात है लेकिन क्या आपको पता है कि आम स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के साथ-साथ ठंड हाइपोथर्मिया और हृदय से जुड़ी समस्याओं का जोखिम भी बढ़ा सकती है? यही नहीं, इसके कारण लोगों की जान भी जा सकती है.

हाल ही में कानपुर में कड़ाके की ठंड कई लोगों की मौत का कारण बनी. जिसके बाद डॉक्टर्न ने डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों के रोगियों को सावधानी बरतने की सलाह दी है. आपको बता दें कि नॉर्थवेस्टर्न मेडिसिन की हृदय रोग विशेषज्ञ, एमडी पेट्रीसिया वासल्लो के मुताबिक सर्दियों में दिल का दौरा आने का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि, सर्दियों में हार्ट अटैक आने की कई थियोरीज़ हैं. आइए, इनके बारें में जानें…

सर्दियों में दिल के दौरे के मुख्य जोखिम कारक
ठंड के कारण ब्लड वेसल्स यानी रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं. इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. जिसकी वजह से दिल के दौरे और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है.
कोरोनरी हार्ट डिसीज़ के कारण एनजाइना या सीने में होने वाला दर्द भी सर्दियों में बढ़ सकता है, खास तौर पर तब जब कोरोनरी आर्टरीज ठंड में सिकुड़ जाती हैं.
ठंड में, हमारा ह्रदय स्वस्थ शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त मेहनत करता है. सर्दियों की हवा यानी कोल्ड वेव इस काम को और ज्यादा मुश्किल बना सकती है.
यदि आपके शरीर का तापमान 95 डिग्री से कम हो जाता है तो हाइपोथर्मिया के कारण हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है.

ठंड से ऐसे करें बचाव
ठंड से बचने के लिए आप स्वेटर, टोपी, दस्ताने और मोज़े पहनें.
शराब के अधिक सेवन से बचें. इसका सेवन करने बाद महसूस होने वाली गर्मी, ठंड में बाहर निकलने पर नुकसानदायक साबित हो सकती है.
अपने हाथ बार-बार धोएं. श्वसन संक्रमण से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ सकता है.
अगर आपको दिल की बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर की मदद लें.

दिल के दौरे के चेतावनी संकेत और लक्षण
सीने में तेज दर्द दिल के दौरे का सबसे आम चेतावनी संकेत है.

अन्य लक्षण
मतली या उलटी
चक्कर आना
सांस लेने में कठिनाई
जबड़े, पीठ, गर्दन या कंधों में दर्द
सुन्नता या झुनझुनी
ठंडा पसीना आना
हार्टबर्न
ज्यादा थकान

दिल का ऐसे रखें ख्याल
हार्ट हेल्दी डाइट लें यानी ज्यादा तेल-मसालों के सेवन से बचें.
नियमित व्यायाम करें.
अपने ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल की नियमित जांच कराएं.
तनाव को कम करने की कोशिश करें. योग और मेडिटेशन करें.
फुल बॉडी चेकअप कराते रहें.