
लखनऊ। पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों की रैंकिंग में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के स्कूल फिसड्डी साबित हुए हैं। जानें मेरठ, मुजफ्फरनगर ओर शामली जिलों के सरकारी स्कूलों को रैंकिंग में कौन सा स्थान मिला है।
पढ़ाई-लिखाई और अनुशासन जैसे मानक पर पूर्वांचल के सरकारी स्कूल अव्वल हैं। बेसिक शिक्षा विभाग की अगस्त-सितंबर महीने की रैंकिंग में मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों के स्कूल रैंकिंग में पीछे दिखाई पड़ रहे हैं। प्रदेश के 823 विकासखंडों की ताजा रिपोर्ट में टॉप टेन में सिर्फ पूर्वांचल के ब्लॉकों को जगह मिली है।
उसमें भी बलिया के दो ब्लॉक बैरिया और मनियार क्रमश पहले और दूसरे जबकि बेल्हारी नौवें स्थान पर हैं। चंदौली का सकलडीहा तीसरे, जौनपुर का केराकत चौथे, देवरिया का भागलपुर पांचवें, सलेमपुर सातवें व भलुआनी दसवें, भदोही का अभोली व औराई क्रमश छठवें व आठवें स्थान पर है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिलों की रिपोर्ट बहुत उत्साहजनक नहीं है। मुजफ्फरनगर का खतौली 16वें, अलीगढ़ का खैर ब्लॉक 49वें, मेरठ का सरूरपुर 56वें, बरेली का क्यारा 77वें, आगरा का खेरागढ़ 97वें, मुरादाबाद का दिलारी 218वें जबकि रामपुर का स्वार ब्लॉक रैंकिंग में 250वें स्थान पर है।
मध्य उत्तर प्रदेश में लखनऊ के गोसाईगंज ब्लॉक को 319वीं रैंक मिली है जो राजधानी के ब्लॉकों में से सर्वश्रेष्ठ है। कानपुर नगर के चौबेपुर को 51वीं, कानपुर देहात के राजपुर को 276वीं, रायबरेली के शिवगढ़ को 62वीं जबकि इटावा के बदपुरा ब्लॉक को 89वीं रैंक मिली है।
ब्लॉकवार जारी रैंकिंग कई पैरामीटर के आधार पर तैयार की गई है। अगस्त और सितंबर में स्कूलों के जीर्णोद्धार के लिए चल रहे मिशन कायाकल्प, शिक्षकों की अनुपस्थिति, छात्र-छात्राओं की उपस्थिति, बैठक आदि के आधार पर रैंकिंग बनाई गई है।
दो महीने पहले हुए रैंकिंग में प्राथमिक स्कूलों के कायाकल्प मामले में वाराणसी को यूपी का दूसरा सबसे बेहतर जिला माना गया था। इसके पांचवें फेज में वाराणसी ने 94 प्रतिशत टारगेट पूरा किया था। वाराणसी से ऊपर कासगंज को पहली रैंक मिली थी। वहीं, बिजनौर तीसरे, फर्रुखाबाद चौथे और ललितपुर पांचवें स्थान पर आया था।
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