नई द‍िल्‍ली. पृथ्वी का जुड़वा प्लेनेट कहलाने वाले शुक्र यानी वीनस को अगले गंतव्य के तौर पर बहुत सोच समझकर सेलेक्ट किया गया है. पृथ्वी और शुक्र की उत्पत्ति लगभग एक ही समय में हुई है. इनका घनत्‍व (Density) और आकार भी एक जैसा ही है. इस वजह से इस प्लेनेट को चूज किया गया है. हालांकि इनमें फर्क भी बहुत है. शुक्र का तापमान पृथ्वी की तुलना में बहुत ज्यादा है और साथ ही वायुमंडल-संबंधी (Atmospheric) दबाव भी बहुत ज्यादा है.

उम्मीद की जा रही थी कि शुक्र पृथ्वी जैसा है ऐसे में जीवन की संभावना भी वहां हो सकती है. लेक‍िन एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले शायद करोड़ों साल बाद ऐसा कुछ संभव हो वो भी तब जब यहां की गैस ठंडी हो गई हो. लेक‍िन फिलहाल ऐसा कुछ भी संभव नहीं है, क्योंकि यह उन्हीं गैसों से मिलकर बना है जो प्रदूषण का कारण भी है. ऐसे में जीवन की संभावना वहां बेहद कम है. यह सबसे गर्म और सबसे चमकीला ग्रह है. हालांकि ये सूरज से दूर है बावजूद इसके सबसे ज्यादा गर्म है.

एक थ्योरी ये भी है क‍ि वीनस अभी उस स्टेज पर है जिस पर आने वाले समय में पृथ्वी पहुंचेगी. यानी जिस तरीके से अभी पृथ्वी पर प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. ग्रीन हाउस इफेक्ट की गैस लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में बेहद संभव है कि आने वाले समय में पृथ्वी का हाल शुक्र वाला हो. सूरज का लगातार बढ़ता हुआ आकार, ग्‍लोबल वार्म‍िंग आद‍ि ये सब चीजें होंगी जो आने वाले समय में पृथ्वी पर जीवन खत्म कर देने के लिए कारक साबित हो सकती है.

ये भी एक कारण है कि शुक्रयान (Shukrayaan) मिशन को भेजा जा रहा है. यह मिशन 2024 दिसंबर में भेजा जाएगा और 4 साल तक कक्षा (orbit) में रहेगा. यह एक ऑर्बिटर मिशन है. ये वीनस के केमिकल कम्पोजिशन वहां मौजूद गैस, बन रही कोई नई गैस, तापमान आद‍ि इन सब की रिसर्च करेगा.