नई दिल्ली. तीन कृषि काननों को लेकर किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच जारी 8वें दौर की वार्ता अब समाप्त हो चुकी है. हालांकि पिछले कुछ बैठकों की तरह ये बैठक भी बेनतीजा रही.

बैठक के दौरान सरकार और किसान नेताओं के बीच बहस भी हुई. ये उस वक्त ज्यादा बढ़ गई जब किसान नेताओं ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के बाद कमेटी बनाने के लिए कहा. इस दौरान किसानों ने एक नारा भी दिया- श्हम सरकार को हराएंगे, हम जीतेंगे. किसानों ने कहा कि ये कानून सरकार विरोधी है. हमने कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा कुछ नहीं चाहते हैं. हम किसी भी अदालत में नहीं जाएंगे. जब तक कानून निरस्त नहीं किए जाते हम लड़ना जारी रखेंगे. 26 जनवरी को हमारी परेड योजना के अनुसार होगी.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की कविता कुरुगंती ने बताया कि सरकार ने किसानों से कहा है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं ले सकती और ना लेगी. कविता भी बैठक में शामिल थीं. करीब 1 घंटे की वार्ता के बाद किसान नेताओं ने बैठक के दौरान मौन धारण करना तय किया और इसके साथ ही उन्होंने नारे लिखे बैनर लहराना आरंभ कर दिया. इन बैनरों में लिखा था ‘जीतेंगे या मरेंगे.’ लिहाजा, तीनों मंत्री आपसी चर्चा के लिए हॉल से बाहर निकल आए.

उधर किसान संगठन और सरकार की बीच नानकसर सम्प्रदाय से जुड़े बाबा लक्खा सिंह ने मध्यस्थता की पेशकश करते हुए बातचीत की. लक्खा सिंह ने तोमर से मुलाकात के बाद दावा किया कि कृषि मंत्री उनसे बातचीत के दौरान भावुक हो गए.
बाबा लक्खा सिंह ने दावा किया कि केंद्रीय कृषि मंत्री उनसे बातचीत के दौरान रो पड़े. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार ने बड़े ध्यान से दो घंटे तक उनकी बात सुनी. लक्खा सिंह ने कहा, श्आंदोलन के चलते लोगों की जान जा रही है. बच्चे, किसान, बजुर्ग महिला और पुरुष सब सड़कों पर हैं. इन सबका दुख असहनीय है. इसलिए मुझे लगा कि इसका कैसे भी समाधान होना चाहिए. इसलिए मैं आज कृषि मंत्री से मिला. बातचीत अच्छी रही और हमने इसका समाधान निकालने की कोशिश की. देखिए अब बातचीत में क्या होता है.