देवबंद। हलद्वानी रेलवे कॉलोनी के पचास हजार लोगों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड की राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि रेलवे स्टेशन के लिए जमीन सुरक्षित करने से पहले वहां रहने वाले लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुई जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मानवीय पहलू को सामने लाकर ऐसी सरकारों के आईना दिखाया है जो घरों को तोड़ते समय प्रताड़ना, हिंसा और क्रूरता दिखाती हैं।
जारी बयान में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि हाल ही में गरीबों और पिछड़े वर्गों के घरों को ध्वस्त करने में मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं। न्यायालय ने हल्द्वानी मामले पर कहा कि जो लोग यहां रह रहे हैं, उनके पास भी मालिकाना हक का दावा करने के दस्तावेज मौजूद हैं। मान लेते हैं कि वह अतिक्रमणकारी हैं, फिर भी सवाल यह है कि यह सभी मनुष्य हैं जो कई दशकों से पक्के मकानों में रह रहे हैं। मौलाना मदनी ने सरकारों से मांग की कि वह घरों के विध्वंस के दौरान मानवीय पहलू को ध्यान में रखें और जबरदस्ती एवं हिंसा से बचें। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों से न केवल प्रभावित लोगों के लिए समस्याएं पैदा होती हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश की प्रतिष्ठा प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक सिद्धांतों का पालन हर हाल में जरूरी है।