
नई दिल्ली। दही को नाश्ते में शामिल करने से आपको पूरे दिन निरंतर ऊर्जा मिल सकती है। इसकी प्रोटीन सामग्री रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने और मीठे खाने की क्रेविंग को कम करने में मदद कर सकती है। इसके अतिरिक्त, दही के प्रोबायोटिक्स पाचन में सुधार कर सकते हैं और सूजन और कब्ज के लक्षणों को कम कर सकते हैं। लेकिन दही खाने के साथ ही आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे आपक इसके दुष्परिणामों से बच सकते हैं।
भोजन के साथ दही खाना लगभग हर भारतीय घर में एक आम बात है, लेकिन दही खाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
रात को दही खाने से शरीर में सुस्ती बढ़ सकती है, ऐसा बलगम बनने के कारण होता है। आयुर्वेद के अनुसार, दही के मीठे और तीखे गुण बलगम के निर्माण को बढ़ावा देते हैं, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं, नाक की नली में जमाव, गठिया बढ़ना और सूजन जैसी समस्या भी हो जाती है।
दही को हमेशा चीनी, शहद, गुड़ या मसाले जैसे नमक, काली मिर्च, जीरा पाउडर के साथ ही लेना चाहिए। यह दही की प्रभावकारिता में सुधार करता है और बलगम के निर्माण को कम करता है।
बहुत से लोग रोजाना अपने भोजन के साथ दही खाना पसंद करते हैं, लेकिन साल के कुछ महीने ऐसे होते हैं जब आपको दही खाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह समग्र स्वास्थ्य और पाचन को नुकसान पहुंचा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, बसंत, पतझड़ और सर्दियों के मौसम में दही खाने से बचना सबसे अच्छा है क्योंकि इस दौरान बलगम का निर्माण बढ़ सकता है।
चरक संहिता में उल्लिखित आचार्य चरक के शास्त्रों के अनुसार मांडजात मूल रूप से बिना पका हुआ दही है, जिसे खाने बचना चाहिए।
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