
नई दिल्ली. पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग हर बीतते दिन के साथ बढ़ रही है क्योंकि महाराष्ट्र और हरियाणा में कई कर्मचारी मंगलवार को इसकी वापसी की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए. राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश सहित कुछ गैर-बीजेपी शासित राज्य पहले ही ओपीएस में वापस आ गए हैं और नई पेंशन योजना को छोड़ चुके हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की मांग क्यों कर रहे हैं?
केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करने की इच्छा रखने वाले पांच गैर-बीजेपी राज्यों के जरिए मांगे जा रहे संचित एनपीएस कोष की वापसी के लिए पीएफआरडीए अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं है. वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने यह भी कहा कि केंद्र 1 जनवरी, 2004 के बाद भर्ती हुए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के संबंध में ओपीएस को बहाल करने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा है.
पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने ओपीएस के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करना लंबे समय में एक बड़ा दायित्व होगा. उन्होंने कहा था कि सरकारी पेंशनरों की मांगों को पूरा करने के लिए कम खर्चीला तरीके ढूंढे जाने चाहिए. आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना में भविष्य में बड़े पैमाने पर परिव्यय शामिल होता है क्योंकि पेंशन को वर्तमान वेतन से जोड़ा जाता है. उन्होंने राज्य सरकारों को सलाह दी है कि पुरानी पेंशन योजना में बड़े पैमाने पर भविष्य के परिव्यय शामिल हैं क्योंकि पेंशन को वर्तमान वेतन से जोड़ा गया है.
पुरानी पेंशन योजना केंद्र सरकार के जरिए अनुमोदित एक रिटायरमेंट योजना है जो लाभार्थियों को उनकी जीवन सेवा के अंत तक मासिक पेंशन प्रदान करती है. इसके तहत मासिक पेंशन की राशि किसी व्यक्ति के जरिए प्राप्त अंतिम वेतन के आधे के बराबर होती है.
नई पेंशन योजना नवीनतम रिटायरमेंट योजना है, जिसमें लाभार्थी सेवानिवृत्ति के बाद निवेश की गई राशि का 60% निकाल सकेंगे. यह केंद्र सरकार के जरिए दिसंबर 2003 में परिभाषित लाभ पेंशन प्रणाली को परिभाषित अंशदान पेंशन योजना के साथ बदलने के लिए पेश किया गया था ताकि वृद्धावस्था आय सुरक्षा को वित्तीय रूप से स्थायी तरीके से प्रदान किया जा सके और विवेकपूर्ण निवेश के माध्यम से अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों में छोटी बचत को चैनलाइज किया जा सके.
एनपीएस को 1 जनवरी, 2004 से सरकारी सेवा में सभी नई भर्तियों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया था और 1 मई 2009 से स्वैच्छिक आधार पर सभी नागरिकों के लिए भी लागू कर दिया गया है. पुरानी पेंशन योजना के तहत पेंशन राशि सरकार के जरिए प्रदान की जाती है, जिससे उसकी देनदारी बढ़ जाती है, जबकि एनपीएस में कर्मचारी के साथ-साथ सरकार का भी योगदान होता है. ऐसे में कर्मचारी एनपीएस का विरोध कर रहे हैं. वहीं इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने चुनिंदा कर्मचारियों को ओपीएस चुनने की अनुमति दी थी. सरकारी कर्मचारियों का चुनिंदा समूह 31 अगस्त 2023 तक ये विकल्प चुन सकता है.
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