मुजफ्फरनगर में भी साल के आखिरी सूर्य ग्रहण (आंशिक) को लोगों ने एक्स-रे फिल्म और खास चश्मों से देखा। ग्रहण को लेकर मंदिरों के कपाट बंद कर दिये गए। लोगों ने तुलसी के पत्ते डालकर भोज्य पदार्थ ग्रहण किये। बच्चों को नंगी आंखों से सूर्य ग्रहण देखने पर बड़ो की मनाही रही। ग्रहण का समय शाम 4 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 42 मिनट तक है।

सूर्य ग्रहण भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में दिखा। भारत में ग्रहण होने से इसका सूतक काल मान्य रहेगा। ग्रहण का सूतक सुबह 4 बजे लगा। मुजफ्फरनगर में यह ग्रहण 4 बजे के बाद ही देखा जा सका। ग्रहण शुरू होने से पहले ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिये गए थे। ग्रहण के दौरान लोगों की सड़क पर आवाजाही भी कम ही रही।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान सभी तरह की खाने-पीने की चीजें अपवित्र हो जाती हैं। इस कारण से खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दिए जाते हैं ताकि सूर्य ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव न पड़े। माना जाता है कि ग्रहण के दौरान वातावरण में नकारात्मक और दूषित किरणें फैली हुई होती हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक मानी गई हैं। आयुर्वेद में तुलसी के पत्तों का बहुत ही महत्व होता है। तुलसी के पत्ते संजीवनी होते हैं। तुलसी में एंटी-बैक्टीरिया और आयरन तत्व बहुत होते हैं। इसका सेवन करने से व्यक्ति की इम्युनिटी बढ़ती है। इसलिए ग्रहण के समय भोज्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते डालकर ग्रहण करने की हिदायत बुजुर्गों की और से दी गई थी।