नई दिल्ली। सांस लेना एक ऐसी चीज़ है, जो हम बिना सोचे लेते हैं, इसलिए हम मान कर चलते हैं, कि यह हमेशा उपलब्ध होगी ही। ऑक्सीजन हम सभी की ज़िंदगी के लिए सबसे अहम है और कोरोना काल में कई लोग शरीर में ऑक्सीजन लेवल की कमी झेल रहे हैं। हालांकि, कोविड की दूसरी लहर के दौरान यह समस्या चारों तरफ देखी गई थी, जब कोविड के गंभीर संक्रमण की वजह से फेफड़ों में निमानिया और एक्यूट रेस्पीरेट्री डिस्टेंशन सिंड्रोम हो रहा था। इसके अलावा उम्र के साथ भी लोग सांस से जुड़ी दिक्कतों का सामना करने लगते हैं।

औसतन एक मानव शरीर प्रतिदिन 350 लीटर ऑक्सीजन का उपयोग करता है और अगर किसी को 3 मिनट के लिए भी ऑक्सीजन न मिले तो उसकी मृत्यु हो सकती है। ऐसे में सांस ले पाने को हल्के में न लें और सेहत का ध्यान रखें। आज हम आपको बता रहे हैं 3 ऐसे योगासन के बारे में जिनकी मदद से आपका ऑक्सीजन के लेवल अच्छा बना रहेगा।

इसे करने के लिए दाईं नासिका छिद्र को बंद कर बाईं से पहले सांस ली जाती है और फिर छोड़ी जाती है। फिर बाईं नासिका छिद्र को बंद कर ऐसा किया जाता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम से नाड़ी या पल्स की सफाई होती है। इससे नेसल पैसेज साफ होता है जिससे श्वसन मांसपेशी मज़बूत होती है। इसे सुबह खाली पेट करें या फिर शाम को करें।

किसी कुर्सी या फिर फर्श पर पैरों को मोड़कर बैठें, ध्यान की पोज़ीशन में।
अपने दाएं हाथ के अंगूठे से एक तरफ की नासिका छिद्र को बंद कर लें और फिर दूसरी तरफ से सांस लें और छोड़ें।
अब इसी तरह बाईं ओर की नासिका छिद्र को बंद कर लें और दूसरी ओर से सांस लें और छोड़ें।
सांस पर फोकस कर धीरे-धीरे ऐसा करें।
10 मिनट तक इसका अभ्यास करें।

इसका नाम भ्रामरी नाम की मधुमक्थी पर रखा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस प्राणायाम को करते समय सांस छोड़ने की आवाज़ ठीक वैसी ही आती है, जैसी मधुमक्खी की। इस प्राणायाम की मदद से आप मन को शांत कर सकते हैं। साथ ही इससे गुस्सा, चिंता और निराशा को भी कंट्रोल में किया जा सकता है।

सबसे पहले एक शांत वातावरण ढूंढ़े और वहां बैठें। आपको ध्यान करना है इसलिए आरामदायक आसन में बैठें।
आंखें बंद कर कुछ वक्त के लिए पूरे शरीर को शिथिल कर लें।
तर्जनी उंगली से कानों को बंद कर लें।
एक लंबी सांस लें और फिर सांस को छोड़ते वक्त कार्टीलेज को हल्के से दबाएं।
ऐसा करते वक्त मुंह से आवाज़ भी निकालें, इससे फायदा मिलता है।
इसे 3-4 बार दोहराया जा सकता है।

मत्स्य का अर्थ है- मछली। इस आसन में शरीर का आकार मछली जैसा बनता है, इसलिए इसे मत्स्यासन कहा जाता है। यह आसन छाती को चौड़ा कर स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। इस आसन को करने से गर्दन और कंधों की मासपशियां तनाव मुक्त हो जाती है। इसके नियमित अभ्यास से कब्ज़, थाइरोइड, सांस से जुड़ी बीमारियां, थकान, चिंता, कमर दर्द आदि में लाभ पहुंचता है।

सबसे पहले दंडासन में बैठें। अब सांस लेते हुए रीढ़ की हड्डी को सीधा या लंबा करें।
सांस अंदर लेते वक्त दोनों पैरों को उठाकर पद्मासन में ले जाएं।
अब पीठ को धीरे-धीरे पीछे की ओर ले जाएं और फिर कोहनियों के सहारे से ज़मीन पर टिका लें।
अब गर्दन को स्ट्रेच करते हुए सिर को ज़मीन की ओर झुकाएं।
अब हाथों से पैरों के अंगूठों कको छू लें।
अपनी क्षमता के हिसाब से 60 से 80 सेकेंड तक इस आसन में रहें।