नई दिल्ली। वैसे तो डायबिटीज के अधिकतर प्रकार का कोई एक सटीक कारण मानना ठीक नहीं है. लेकिन, जब अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन स्रावित नहीं करता है और हमारा ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. तब हम डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं. इसके अलावा आनुवांशिक और वातावरणीय कारक भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जान लें कि इंसुलिन का कार्य हमारे ब्लड में मौजूद शुगर को कम करना होता है. इंसुलिन की कमी के कारण हमें डायबिटीज जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है.

बता दें कि इंसुलिन एक हार्मोन है जो अग्नाशय से स्रावित होता है. अग्नाशय ब्लडस्ट्रीम में इंसुलिन को छोड़ता है. इंसुलिन ब्लड में शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है. जैसे-जैसे ब्लड में शुगर लेवल कम होता रहता है वैसे-वैसे अग्नाशय से इंसुलिन का स्राव होता है.

ग्लूकोज, एक प्रकार की शुगर है जो मांसपेशियों और अन्य ऊतकों को बनाने वाली कोशिकाओं के लिए ऊर्जा का एक स्रोत है. ग्लूकोज दो प्रमुख स्रोतों फूड और लीवर से आता है. शुगर ब्लडस्ट्रीम से अवशोषित हो जाती है, जहां यह इंसुलिन की मदद से कोशिकाओं में प्रवेश करती है. लीवर, शुगर स्टोर करता है और ग्लूकोज बनाता है. जब ग्लूकोज का स्तर कम हो जाता है. जैसे कि जब आपने कुछ वक्त के लिए कुछ नहीं खाया होता है तो लीवर स्टोर ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में तोड़ देता है. ऐसा करके यह आपके ग्लूकोज लेवल को एक सामान्य सीमा के अंदर रखता है.

डायबिटीज के लक्षण
– सामान्य से ज्यादा प्यास लगना.
– बार-बार यूरिन आना.
– बिना कोशिश किए वजन कम होना.
– थका हुआ और कमजोर महसूस करना.
– चिड़चिड़ापन महसूस होना.
– विजन धुंधला होना.
– घाव धीमी गति से ठीक होना.
– बहुत अधिक इंफेक्शन होना.