दुनियाभर में पुरुषों में होने वाले कैंसर में प्रोस्टेट कैंसर सबसे सामान्य है. प्रोस्टेट पुरुषों में अखरोट के आकार की एक ग्रंथि है जो पुरुषों के पेट के निचले हिस्से में पाई जाती है. इसी ग्रंथि में वीर्य का निर्माण होता है. प्रोस्टेट ग्रंथि की कोशिकाओं में असामान्य वृ्द्धि प्रोस्टेट कैंसर का कारण बनती है. यह कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि से जल्द ही शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है.

लीडिंग हेल्थ वेबसाइट, हेल्थलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण नहीं दिखता है. इस कैंसर में तब तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देता जब कि कैंसर उस ट्यूब पर दबाव डालने जितना बड़ा नहीं हो जाता जो ब्लैडर से मूत्र को लिंग के जरिए बाहर ले जाता है.

क्या हैं प्रोस्टेट कैंसर के मुख्य लक्षण
-बार-बार पेशाब लगना, खासकर रात में
-पेशाब करने में परेशानी होना
-अधिक देर तक पेशाब करना
-पेशाब करने के बाद भी ऐसा महसूस करना कि ब्लैडर खाली नहीं हुआ है
-पेशाब में खून आना
-वीर्य में खून आना
-इरेक्टाइल डिसफंक्शन (स्तंभन दोष)
-पैरों में कमजोरी आना और उनका बार-बार सुन्न पड़ जाना.

अगर कैंसर ज्यादा बढ़ जाता है तो पुरुष के रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है, मूत्राशय और मलाशय पर उनका नियंत्रण हट जाता है. लेकिन इन लक्षणों को लेकर किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले डॉक्टर की सलाह पर जरूरी टेस्ट करवाना बेहद जरूरी है. प्रोस्टेट कैंसर का पता लगान के लिए डॉक्टर PSA (prostate-specific antigen) नामक जांच करवाने की सलाह देते हैं.

प्रोस्टेट कैंसर का किसको अधिक खतरा?
प्रोस्टेट कैंसर किसी भी उम्र वर्ग के पुरुष में हो सकता है लेकिन कुछ कारक ऐसे हैं जिनसे कुछ पुरुषों में इस कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
-जिन पुरुषों की उम्र 50 साल या उससे अधिक है
-जिनके परिवार में किसी को प्रोस्टेट कैंसर है
-मोटापा
-आनुवांशिक बदलाव

हेल्थलाइन के मुताबिक, 40 से कम उम्र के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर रेयर होता है. डॉक्टर सलाह देते हैं कि 45-50 की उम्र के बाद हर पुरुष को प्रोस्टेट कैंसर की जांच करानी चाहिए ताकि अगर प्रोस्टेट कैंसर बन रहा हो तो शुरुआती स्टेज में ही इलाज किया जा सके.