मुजफ्फरनगर। सिविल लाइन थाना पुलिस ने फर्जी जमानती गिरोह के सदस्य अधिवक्ता मशरुर व नाम बदल कर झूठी गवाही देने वाले सुनील व पुनीत को गिरफ्तार किया है। गिरोह का एक सदस्य तीन दिन पहले गिरफ्तार किया गया था। इस गिरोह ने जेल में बंद गैंगस्टर एक्ट व चोरी के मामले के आरोपी की फर्जी मोहरों, कागजातों के आधार पर जमानत कराई थी। इस मामले में एक अधिवक्ता, मुंशी सहित कई आरोपी फरार हैं।

एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत ने पुलिस लाइन सभागार में बताया कि सहारनपुर जनपद के थाना देवबंद के गांव तल्हेड़ी चुंगी निवासी फिरोज पुत्र नासिर गैंगस्टर एक्ट व चोरी के मुकदमे में जेल में बंद था। शहर के खालापार सुजडू रोड निवासी नौशाद उर्फ गंजा पुत्र सुलेमान ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उसकी जमानत कराई थी। जमानत के कागजातों पर उसने अपना फोटो लगाया था और कोर्ट में पेश होकर झूठी गवाही भी दी थी। कागजातों पर पुलिस और लेखपाल की फर्जी रिपोर्ट भी लगाई गई थी। उसे 16 जून को गिरफ्तार किया गया था।

एसपी सिटी ने बताया कि आरोपी नौशाद उर्फ गंजा ने पुलिस को पूछताछ में बताया था कि फर्जी जमानत वाले कागजात बनाने में अधिवक्ता शहर कोतवाली के मोहल्ला मिमलाना रोड रामलीला टील्ला निवासी मशरुर अहमद पुत्र मरगूब, थाना सिखेड़ा के गांव बेहड़ा अस्सा निवासी पुनीत पुत्र राम अवतार तथा सिविल लाइन थाना क्षेत्र की गाजावाली कच्ची सड़क निवासी सुनील पुत्र जयपाल भी शामिल थे। सिविल लाइन थाना प्रभारी ओमप्रकाश सिंह व उनकी टीम ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर चालान कर दिया।

एसपी सिटी ने बताया कि गैंगस्टर एक्ट के आरोपी फिरोज की जमानत को कोर्ट ने खारिज कर दी थी तब उसके पिता नासिर खां को जमानती नही मिल रहे थे। उन्होंने दो वकीलों के माध्यमों से कागजात तैयार कराए। चार फर्जी जमानती बनाए। गिरफ्तार अधिवक्ता ने कागजात तैयार कराए। गिरफ्तार पुनीत बीजा व सुनील ने गयूर बनकर गवाही दी थी। सलीम बन कर गवाही देने वाला नौशाद गंजा पहले पकड़ा गया था।

जमानत के कागजात सत्यापन के लिए चरथावल, शहर कोतवाली व देवबंद थाने नहीं भेजे गए। फर्जी मोहरे, हस्ताक्षर कर रिपोर्ट तैयार की गई। कोर्ट के मुंशी की भूमिका की जांच चल रही है। हर बिंदु पर जांच कर कड़ी जोड़कर फर्जीवाड़े का खुलासा किया जाएगा। जेल भेजे जा रहे सभी आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी कि मोहर कहां बन रही है और रिपोर्ट भी किसने बनाई थी।

उन्होंने बताया कि दो माह की जांच में सभी संदिग्धों व देवबंद तहसीलदार, पोस्टमैन, स्टेशन अधीक्षक से पूछताछ की गई। थाने की मोहरों का मिलान व हस्ताक्षर मिलाए गए, जो सभी फर्जी पाए गए। जमानत के कागजात तस्दीक करने के लिए कोर्ट से कागज भेजे जाते हैं। हर बिंदु पर जांच की जा रही है। गिरफ्तार सुनील व पुनीत को एक से दो हजार रुपये तक ही दिए जाते थे। पता चला है कि झूठी गवाही देने वाले कचहरी में घूमते रहते है। पूरे मामले में जांच चल रही है।