
लखनऊ/सुलतानपुर। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर रणभेरी कभी भी बज सकती है। ऐसे में अब सबकी नजरें आरक्षण पर टिक गई है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के आरक्षण के लिए लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में प्रदेश के संसदीय कार्य और ग्राम्य विकास राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने आरक्षण घोषित होने को लेकर बडा बयान दिया है। साथ ही उन्होने भाजपा के सिंबल पर पंचायत चुनाव लडने के संबंध में भी बडा बयान दिया है।
उत्तर प्रदेश के संसदीय कार्य और ग्राम्य विकास राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने शनिवार को कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 15 फरवरी तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जिला कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान राज्य मंत्री ने कहा कि बीजेपी पंचायत चुनाव पार्टी के चुनाव चिह्न पर नहीं लडे़गी बल्कि पार्टी के समर्थित उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा पंचायत चुनाव अधिनियम में संशोधन को लेकर कोई विचार-विमर्श नहीं चल रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास के लिए सरकार मुख्य रूप से प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण, मुख्यमंत्री आवास योजना, मनरेगा और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को प्राथमिकता दे रही है।
उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर सभी प्रत्याशियों ने तैयारी कर ली है. हालांकि नई आरक्षण सूची के इंतजार में उम्मीदवार हैं जिसके जल्द ही जारी होने के आसार हैं. इस बीच उत्तर प्रदेश में गांव की सरकार के लिए होने वाले मतदान को लेकर वोटर लिस्ट जारी किया जा चुका है. इस बार करीब 12 करोड़ 28 लाख वोटर अपने उम्मीदवारों का चयन करेंगे. सूबे में इस बार होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने कल देर शाम वोटर लिस्ट के आंकड़े जारी करने का काम किया है. पंचायतों की इस नई वोटर लिस्ट पर नजर डालें तो इसमें कुल 12 करोड़ 27 लाख 99 हजार 686 वोटर दर्ज दिख रहे हैं.
गाजिबयाद के रजापुर विकास खंड की डासना ग्राम पंचायत में मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. मतदाताओं की संख्या के लिहाज से देखा जाएग तो ये सबसे बड़ी ग्राम पंचायत हो चुकी है. इस ग्राम पंचायत की वोटर लिस्ट में कुल 38077 वोटर का नाम दर्ज है. अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि साल 2015 में संपन्न कराये गये त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की वोटर लिस्ट में करीब 11 करोड़ 43 लाख 37 हजार 700 मतदाता थे. इन दोनों की तुलना की जाए तो पिछले पांच वर्षों में आयोग की वोटर लिस्ट में करीब 84 लाख वोटरों की बढ़ोतरी हुई है. वोटर लिस्ट पुनरीक्षण : आयोग ने जो वोटर लिस्ट पुनरीक्षण इस बार करवाया है उसमें बूथ लेबल आफिसर (बीएलओ) ने प्रदेश की हर ग्राम पंचायत के घर-घर जाकर वोटर लिस्ट का सत्यापन करने का काम किया है. इस पुनरीक्षण में कुल 2 करोड़ 10 लाख 40 हजार 978 नये मतदाता सामने आये जिनका नाम वोटर लिस्ट में जोड़ा गया. इधर 1 करोड़ 08 लाख 74 हजार 562 मृत, डुप्लीकेट या अन्यत्र स्थानांतरित वोटरों के नाम भी सामने आये जिन्हें हटाने का काम किया गया है. जानकारी के अनुसार कुल 39 लाख 36 हजार 027 वोटरों के नाम, उम्र व पते आदि के ब्यौरे में संशोधन करने का काम आयोग की ओर से किया गया है. उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की कुल आबादी के अनुपात में अब 67.45 प्रतिशत मतदाता हैं. साल 2015 के चुनाव की बात करें तो इसमें यह अनुपात 66.61 प्रतिशत का था.
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