मुज़फ्फरनगर : उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के संरक्षण और डॉल्फिन की संख्या में बढ़ोतरी के लिए राज्य का पहला डॉल्फिन रिसर्च सेंटर स्थापित किया जा रहा है। इस सेंटर के लिए पश्चिमी यूपी के मेरठ और मुजफ्फरनगर के हस्तिनापुर सेंचुरी में जमीन चिन्हित की गई है। इस सेंटर के जरिए गंगा नदी में पाई जाने वाली गंगेटिक डॉल्फिन को संरक्षित करने, उनके कुनबे को बढ़ाने और उनके जीवन के बारे में शोध कार्य करने की योजना है। केंद्र सरकार द्वारा गंगेटिक डॉल्फिन को 2009 में राष्ट्रीय जलीय जीव का दर्जा दिया गया था। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की मंजूरी मिलते ही इसके निर्माण का काम तेजी से शुरू होगा।
गंगा नदी के तटीय इलाके, विशेषकर मेरठ के हस्तिनापुर में डॉल्फिन, कछुओं और घड़ियालों का बसेरा है। वन विभाग द्वारा यहां डॉल्फिन संरक्षण की कोशिशें लंबे समय से की जा रही हैं। यह सेंटर क्षेत्र में डॉल्फिन की बढ़ती संख्या और उनकी अनुकूलन क्षमता का आंकलन करेगा। इस बार की गणना में अपर गंगा नदी क्षेत्र में 52 डॉल्फिनें पाई गई हैं, जिनमें से कुछ छोटे बच्चे भी शामिल हैं। हस्तिनापुर के अलावा, मुजफ्फरनगर में भी डॉल्फिन सेंटर के लिए जगह की पहचान की गई है। मेरठ जिले में पांच हॉटस्पॉट भी चिन्हित किए गए हैं जहां सैलानी डॉल्फिन को करीब से देख सकते हैं।
वन विभाग डॉल्फिन संरक्षण के लिए समुदाय को जोड़ने की योजना बना रहा है। टाइगर रिजर्व में ‘बाघ मित्र’ की तरह, यहां ‘डॉल्फिन मित्र’ बनाए जाएंगे, जो गंगा नदी के किनारे बसे गांवों के लोग होंगे। ये लोग डॉल्फिन के संरक्षण में मदद करेंगे और पर्यटकों को जानकारी देने का काम करेंगे। इसके लिए एक विशेष फंड भी तय किया गया है जिससे स्थानीय लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा।
गौरतलब है कि इससे पहले हस्तिनापुर में एक डॉल्फिन ब्रीडिंग सेंटर स्थापित करने की योजना बनी थी, लेकिन वह संभव नहीं हो सका। हालांकि बिहार के भागलपुर में एक डॉल्फिन रेस्क्यू और संरक्षण केंद्र है, लेकिन भारत में डॉल्फिन ब्रीडिंग सेंटर अभी तक नहीं बना है। यह नया रिसर्च सेंटर डॉल्फिन के प्रजनन, उनकी आदतों और गंगा नदी की सेहत पर उनके असर का अध्ययन करेगा।