मुजफ्फरनगर। लंपी बीमारी के संक्रमण से बचाव और पशुपालकों को जागरूक करने के लिए पशु चिकित्सा विभाग ने कंट्रोल रूम बना दिया है। पशुपालकों के लिए निर्देश जारी किए गए हैं।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण में पशुपालक सहयोग करें। सावधानी रखकर बीमारी का प्रकोप रोका जा सकता है। अगर कहीं संक्रमित पशु है या लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग रखने की व्यवस्था करें। स्वस्थ पशुओं के लिए स्वस्थ आहार जरूर होना चाहिए। पशुओं को मक्खी, चिचड़ी और मच्छरों से बचाकर रखें।
पशु चिकित्सा विभाग के कंट्रोल रूम के मोबाइल नंबर 9411475570, 9319992493 और 9897537882 पर पशुपालक जानकारी दे सकते हैं। पशुओं को बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां न दें। संक्रमित पशु को बांधने वाले स्थान पर फोरमेलिन, ईथर, क्लोरोफार्म, एल्कोहल और अन्य उपलब्ध कीटनाशक से छिड़काव कर सकते हैं।
इस तरह करें संक्रमण से बचाव
– आंवला, अश्वगंधा, गिलोय एवं मुलैठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ मिलाकर लड्डू बनाकर खिलाएं।
– तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी, दालचीनी पांच ग्राम, सोठ पाउडर पांच ग्राम, काली मिर्च 10 नग को गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम खिलाएं।
– पशुओं को बांधने के स्थान पर उपले में गूगल, कपूर, नीम के सूखे पत्ते, लोबान को डालकर सुबह-शाम धुआं करें।
– पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट और 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें। घोल के स्नान के बाद सादे पानी में नहलाएं।
संक्रमण के बाद यह उपचार
नीम व तुलसी के पत्ते एक-एक मुट्ठी, लहसुन, लौंग, काली मिर्च-10-10 नग, जीरा 15 ग्राम, हल्दी पाउडर 10 ग्राम, पान के पत्ते पांच नग, छोटे प्याज दो नग पीसकर गुड़ में मिलकर सुबह-शाम 10 से 15 दिन तक खिलाने से लाभ होगा।
खुले घाव के लिए देशी उपचार
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि नीम, तुलसी, मेहंदी के पत्ते एक-एक मुट्ठी, लहसुन की कली 10 नग, हल्दी पाउडर 10 ग्राम, नारियल का तेल 500 मिली को धीरे-धीरे पकाएं। नीम के पत्ते पानी में उबालकर पानी से घाव साफ करने के बाद तैयार औषधि घाव पर लगाए।
यह लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान
– गाय को हल्का बुखार
– पशु के शरीर पर जगह-जगह गांठ
– दुग्ध उत्पादन में अत्यधिक कमी
– पशु में गर्भपात या बांझपन