नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में केन्द्रीय बजट 2021-22 पेश किया, जो इस नये दशक का पहला बजट है और अप्रत्याशित कोविड संकट के मद्देनजर एक डिजिटल बजट भी है। आत्मनिर्भर भारत का विजन प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि यह दरअसल 130 करोड़ भारतीयों की एक स्पष्ट अभिव्यक्ति है, जिन्हें अपनी क्षमता और कौशल पर पूर्ण भरोसा है।
उन्होंने कहा कि बजट प्रस्तावों से राष्ट्र पहले, किसानों की आय दोगुनी करने, मजबूत अवसंरचना, स्वस्थ भारत, सुशासन, युवाओं के लिए अवसर, सभी के लिए शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, समावेशी विकास, इत्यादि का संकल्प और मजबूत होगा। इसके अलावा त्वरित कार्यान्वयन के पथ पर बजट 2015-16 के वे 13 वादे भी हैं, जिन्हें देश की आजादी के 75वें वर्ष यानी 2022 के अमृत महोत्सव के दौरान पूरे किये जाने हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी वादे भी आत्मनिर्भरता के इस विजन के अनुरूप हैं।
वर्ष 2021-22 के बजट प्रस्ताव इन 6 स्तंभों पर आधारित हैं :
1. स्वास्थ्य एवं खुशहाली
2. भौतिक एवं वित्तीय पूंजी, और अवसंरचना
3. आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास
4. मानव पूंजी को फिर से ऊर्जावान बनाना
5. नवाचार और अनुसंधान व विकास
6. न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन
स्वास्थ्य एवं खुशहाली
स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है और वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में स्वास्थ्य एवं खुशहाली के लिए बजट परिव्यय 2,23,846 करोड़ रुपये का है, जबकि इस साल का बजट अनुमान 94,452 करोड रुपये का है, जो 137 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि 6 वर्षों में लगभग 64,180 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली एक नई केन्द्र प्रायोजित स्कीम ‘पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना’ का शुभारंभ किया जाएगा। इससे प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमता विकसित होगी, मौजूदा राष्ट्रीय संस्थान मजबूत होंगे, और नये संस्थानों का सृजन होगा, जिससे नई और उभरती बीमारियों की पहचान एवं इलाज करने में आसानी होगी। यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अतिरिक्त होगा। इस योजना के तहत किये जाने वाले मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं :
ए. 17,788 ग्रामीण और 11,024 शहरी स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्रों के लिए आवश्यक सहायता दी जाएगी।
बी. 11 राज्यों के सभी जिलों और 3382 प्रखंड सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी।
सी. 602 जिलों और 12 केन्द्रीय संस्थानों में गंभीर बीमारी की देखभाल से जुड़े अस्पताल ब्लॉक स्थापित किये जाएंगे।
डी. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र (एनसीडीसी), इसकी 5 क्षेत्रीय शाखाओं और 20 महानगरों में स्थित स्वास्थ्य निगरानी इकाइयों को मजबूत किया जाएगा।
ई. सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को आपस में जोड़ने के लिए एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल का विस्तार सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा।
एफ. प्रवेश स्थलों, अर्थात 32 हवाई अड्डों, 11 समुद्री बंदरगाहों और 7 लैंड क्रॉसिंग पर 17 नई सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को चालू किया जाएगा और 33 मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को मजबूत किया जाएगा।
जी. 15 स्वास्थ्य आपातकालीन ऑपरेशन केन्द्रों और 2 मोबाइल अस्पतालों की स्थापना की जाएगी।
एच. वन हेल्थ के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान, डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय अनुसंधार प्लेटफॉर्म, जैव सुरक्षा स्तर-3 की 9 प्रयोगशालाओं और विषाणु विज्ञान के लिए 4 क्षेत्रीय राष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना की जाएगी।
टीका
वर्ष 2021-22 के बजट अनुमान में कोविड-19 वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। भारत में तैयार ‘न्यूमोकोकल वैक्सीन’, जो मौजूदा समय में केवल पांच राज्यों तक ही सीमित है, को देश भर में उपलब्ध कराया जाएगा। इसका उद्देश्य हर वर्ष 50,000 बच्चों को मौत के मुंह में जाने से बचाना है।
पोषण
पोषक तत्वों को बढ़ाने के साथ-साथ इनकी डिलीवरी, पहुंच एवं परिणाम को बेहतर करने के लिए सरकार पूरक पोषण कार्यक्रम और पोषण अभियान का आपस में विलय कर देगी तथा मिशन पोषण 2.0 को लॉन्च करेगी। सरकार सभी 112 जिलों में पोषण संबंधी परिणामों को बेहतर करने के लिए एक गहन रणनीति अपनाएगी।
जलापूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज और स्वच्छ भारत मिशन
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि 2.86 करोड़ घरों में नल कनेक्शनों के साथ सभी 4378 शहरी स्थानीय निकायों में सार्वभौमिक जलापूर्ति के लिए जल जीवन मिशन (शहरी) का शुभारंभ किया जाएगा। इसके साथ ही 500 अमृत शहरों में तरल अपशिष्ट का प्रबंधन किया जाएगा। इसे 2,87,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अगले 5 वर्षों में कार्यान्वित किया जाएगा। इसके अलावा 2021-2026 तक के 5 वर्षों में 1,41,678 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय आवंटन के साथ शहरी स्वच्छ भारत मिशन को कार्यान्वित किया जाएगा। वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए सरकार ने इस बजट में 10 लाख से अधिक की आबादी वाले 42 शहरी केन्द्रों के लिए 2217 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया है। पुराने और अनुपयुक्त पाए जाने वाले वाहनों को चरणबद्ध ढंग से हटाने के लिए एक स्वैच्छिक वाहन स्क्रैप नीति की भी घोषणा की गई। निजी वाहनों के मामले में 20 साल बाद और वाणिज्यिक वाहनों के मामले में 15 साल बाद स्वचालित फिटनेस केन्द्रों में फिटनेस परीक्षण कराए जाने का प्रस्ताव किया गया है।
आत्मनिर्भर भारत – उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए देश के विनिर्माण क्षेत्र को निरंतर दहाई अंकों में वृद्धि दर हासिल करनी होगी। हमारी विनिर्माण कंपनियों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का अभिन्न अंग बनाने, विशिष्ट क्षमता एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी हासिल करने की जरूरत है। इन सभी को हासिल करने के के उद्देश्य से आत्मनिर्भर भारत के लिए विनिर्माण वैश्विक दिग्गजों को सृजित करने हेतु 13 सेक्टरों में पीएलआई स्कीम की घोषणा की गई है। इसके लिए सरकार ने अगले 5 वर्षों में लगभग 1.97 लाख करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जिसकी शुरुआत वित्त वर्ष 2021-22 से होगी। इस पहल से महत्वपूर्ण सेक्टरों में व्यापक उत्पादन स्तर हासिल होगा, वैश्विक दिग्गजों का सृजन होगा और देश के युवाओं को रोजगार मिलेगा।
वस्त्र
इसी तरह वस्त्र उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई स्कीम के अलावा ‘मेगा इन्वेस्टमेंट टेक्सटाइल पार्क्स (मित्र)’ नामक योजना शुरू की जाएगी। इससे ‘लगाओ और चलाओ’ सुविधाओं से युक्त विश्वस्तरीय अवसंरचना का निर्माण होगा, जिससे निर्यात के क्षेत्र में वैश्विक दिग्गज अस्तित्व में आएंगे। तीन वर्षों में 7 वस्त्र पार्क स्थापित किए जाएंगे।
अवसंरचना
वित्त मंत्री द्वारा दिसंबर 2019 में घोषित राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) अपनी तरह की पहली और पूरी तरह से सरकारी पहल पर आधारित है। 6,835 परियोजनाओं के साथ एनआईपी की घोषणा की गई थी। इस परियोजना पाइपलाइन का विस्तार कर दिया गया है और अब इसमें 7400 परियोजनाएं हैं। कुछ महत्वपूर्ण अवसंरचना मंत्रालयों के अधीन 1.10 लाख करोड़ रुपये की लागत की लगभग 217 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं।
अवसंरचना का वित्त पोषण – विकास वित्त संस्थान (डीएफआई)
सीतारमण ने अवसंरचना क्षेत्र पर काफी भरोसा जताते हुए कहा कि अवसंरचना के लिए दीर्घकालिक ऋण वित्त पोषण की आवश्यकता है। दरअसल प्रोफेशनल ढंग से प्रबंधित किये जाने वाले विकास वित्त संस्थान की जरूरत है, जो अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के वित्त पोषण के लिए एक प्रदाता, सुविधाजनक और उत्प्रेरक की भूमिका निभाए। तदनुसार, डीएफआई की स्थापना के लिए एक विधेयक लाया जाएगा। विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) से लाभ उठाने के लिए केन्द्रीय बजट में 20,000 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। इस डीएफआई के लिए 3 वर्षों में कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज पोर्टफोलियो सुनिश्चित करने की महत्वाकांक्षा है।
परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण
पहले से ही परिचालन में लाई जा रही सार्वजनिक अवसंरचना परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण नई अवसंरचना के निर्माण के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण वित्त पोषण विकल्प है। संभावित मौजूदा अवसंरचना परिसंपत्तियों की एक ‘राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन’ लॉन्च की जाएगी। इस दिशा में हो रही प्रगति पर करीबी नजर रखने और निवेशकों को इससे अवगत कराने के लिए एक परिसंपत्ति मुद्रीकरण डैशबोर्ड भी बनाया जाएगा। मुद्रीकरण की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण उपायों का उल्लेख नीचे किया गया है :
ए. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पीजीसीआईएल ने एक-एक इनविट को प्रायोजित किया है, जो विदेशी एवं घरेलू संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करेंगे। 5000 करोड़ रुपये के अनुमानित उद्यम मूल्य वाली 5 चालू सड़कों को एनएचएआईइनविट को हस्तांतरित किया जा रहा है। इसी तरह 7000 करोड़ रुपये मूल्य की पारेषण परिसंपत्तियों को पीजीसीआईएलइनविट को हस्तांतरित किया जाएगा।
बी. रेलवे समर्पित फ्रेट कॉरिडोर का इस्तेमाल शुरू करने के बाद परिचालन एवं रख-रखाव के लिए इसकी परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करेगी।
सी. परिचालन एवं प्रबंधन संबंधी रियायत के लिए हवाई अड्डों के अगले समूह का मुद्रीकरण किया जाएगा।
डी. परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम के तहत अमल में लाई जाने वाली अन्य प्रमुख अवसंरचना परिसंपत्तियां ये हैं : (i) एनएचएआई द्वारा चालू की जा चुकी टोल रोड (ii) पीजीसीआईएल की पारेषण परिसंपत्तियां (iii) गेल, आईओसीएल एवं एचपीसीएल की तेल व गैस पाइपलाइनें (iv) टियर-2 एवं टियर -3 शहरों में स्थित एएआई के हवाई अड्डे (v) रेलवे की अन्य अवसंरचना परिसंपत्तियां (vI) सीपीएसई जैसे कि केन्द्रीय भंडारण निगम, नैफेड इत्यादि की भंडारण परिसंपत्तियां, और (vii) खेल स्टेडियम।
सड़क एवं राजमार्ग अवसंरचना
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली भारतमाला परियोजना के तहत 3.3 लाख करोड़ रुपये की लागत से 13000 किलोमीटर से भी अधिक लंबी सड़कों के ठेके पहले ही दिए जा चुके हैं, जिनमें से 3800 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण हो चुका है। मार्च 2022 तक सरकार 8500 किलोमीटर लंबी सड़कों के लिए भी ठेके दे देगी। इसके साथ ही सरकार 11000 किलोमीटर और लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग कॉरिडोर का निर्माण पूरा कर लेगी। सड़क अवसंरचना का और भी अधिक विस्तार करने के लिए कई और आर्थिक कॉरिडोर की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के लिए 1,18,101 लाख करोड़ रुपये का विस्तारित परिव्यय प्रदान किया है, जिसमें से 1,08,230 करोड़ रुपये संबंधित पूंजी के लिए है और जो अब तक का सर्वाधिक है।
रेलवे अवसंरचना
भारतीय रेलवे ने भारत के लिए एक राष्ट्रीय रेल योजना – 2030 तैयार की है। इस योजना को वर्ष 2030 तक ‘भविष्य के लिए तैयार’ रेलवे तंत्र सृजित करना है। हमारे उद्योगों के लिए परिवहन लागत को कम करना ‘मेक इन इंडिया’ को समर्थ बनाने के लिए हमारी रणनीति का मुख्य बिंदु है। यह संभावना है कि पश्चिमी समर्पित भाड़ा कॉरिडोर (डीएफसी) और पूर्वी डीएफसी जून, 2022 तक हो जाएंगे। यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय प्रस्तावित हैं :
यात्रियों को बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए पर्यटक रूटों पर सौंदर्यपरक रूप से डिजाइन किये गये बिस्टाडोम एचएलवी कोच आरंभ किये जाएंगे। पिछले कुछ वर्षों में किये गये सुरक्षा उपायों के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। इस प्रयास को और सुदृढ़ करने के लिए भारतीय रेलवे के उच्च घनत्व नेटवर्क और उच्च उपयोग किये गये नेटवर्क रूटों को स्वदेश में विकसित स्वचालित ट्रेन संरक्षण प्रणाली प्रदान की जाएगी, जो मानवीय त्रुटि के कारण होने वाली ट्रेन टकराने की समस्या को समाप्त कर देगी।
बजट में रेलवे के लिए 1,10,055 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड राशि प्रदान की गई है, जिसमें 1,07,100 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए है।
शहरी अवसंरचना
सरकार मेट्रो रेल नेटवर्क के साथ-साथ सिटी बस सेवा के भी विस्तार के जरिये शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास करेगी। सार्वजनिक बस परिवहन सेवाओं के विस्तार में आवश्यक सहयोग देने के लिए 18000 करोड़ रुपये की लागत से एक नई योजना शुरू की जाएगी।
कुल 702 किलोमीटर लंबी मेट्रो परिचालन में है और 27 शहरों में 1,016 किलोमीटर मेट्रो व आरआरटीएस निर्माणाधीन हैं। टियर-2 शहरों और टियर-1 शहरों के आसपास के इलाकों में कम लागत में समान अनुभव, सुविधा और सुरक्षा से युक्त मेट्रो रेल प्रणालियां उपलब्ध कराने के लिए दो नई तकनीक ‘मेट्रोलाइट’ और ‘मेट्रोनियो’ लागू की जाएंगी।
विद्युत अवसंरचना
पिछले छह साल में अतिरिक्त 139 गीगावाट स्थापित क्षमता के साथ बिजली क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं और उपलब्धियां हासिल हुई हैं। इसके साथ ही 2.8 करोड़ घरों को कनेक्शन दिए जाने के अलावा 1.41 लाख सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइन बिछाई गई हैं।
वितरण कंपनियों की व्यवहार्यता को लेकर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए वित्त मंत्री ने 5 वर्ष में 3,05,984 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सुधारों पर आधारित और प्रदर्शन से संबद्ध विद्युत वितरण क्षेत्र योजना पेश करने का प्रस्ताव किया है। योजना के तहत, बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) को वित्तीय स्थिति में सधार के लिए जरूरी प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग और फीडर से अलग करने, प्रणालियों में सुधार सहित अवसंरचना निर्माण के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
बंदरगाह, नौवहन, जलमार्ग
बड़े बंदरगाह अपने दम पर अपनी परिचालन सेवाओं के प्रबंधन से एक ऐसा मॉडल बनने की ओर कदम बढ़ाएंगे, जहां एक निजी साझीदार उनकी तरफ से इसका प्रबंधन करेगा। इस उद्देश्य से बजट में वित्त वर्ष 21-22 में निजी सार्वजनिक साझीदारी मॉडल पर बड़े बंदरगाहों 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा धनराशि का प्रस्ताव किया गया है।
भारत में वाणिज्यिक जहाजों की आवाजाही को प्रोत्साहन देने के लिए एक योजना का शुभारम्भ किया जाएगा, जिसके तहत मंत्रालयों और सीपीएसई द्वारा जारी वैश्विक निविदाओं में भारतीय नौवहन कंपनियों को सब्सिडी के माध्यम से समर्थन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए, 5 वर्ष के दौरान 1,624 करोड़ रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। इस पहल से वैश्विक नौवहन में भारतीय कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के अलावा, भारतीय नाविकों को प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस
तारमण ने कहा कि सरकार ने कोविड-19 लॉकडाउन अवधि के दौरान देश भर में ईंधन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखी है। इस क्षेत्र की अहमियत को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित प्रमुख पहलों की घोषणा की जा रही है :
क. उज्ज्वला योजना का लाभ 8 करोड़ परिवारों को पहले ही मिल चुका है और अब 1 करोड़ अतिरिक्त लाभार्थियों तक इसका विस्तार किया जाएगा।
ख. अगले तीन वर्ष में शहरी गैस वितरण नेटवर्क में 100 अतिरिक्त शहरों को जोड़ा जाएगा।
ग. जम्मू व कश्मीर संघ शासित क्षेत्र में एक गैस पाइपलाइन परियोजना शुरू की जाएगी।
घ. गैर भेदभावपूर्ण मुक्त पहुंच के आधार पर सभी प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों में सामान्य वाहक क्षमता की बुकिंग की सुविधा और समन्वय के लिए एक स्वतंत्र गैस वाहक प्रणाली परिचालक की स्थापना की जाएगी।
वित्तीय पूंजी
वित्त मंत्री ने सेबी अधिनियम, 1992, डिपॉजिटरीज अधिनियम, 1996, प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम, 1956 और सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2007 के प्रावधानों को एकल प्रतिभूति बाजार संहिता में समेकित करने का प्रस्ताव किया है। सरकार जीआईएफटी-आईएफएससी में एक विश्व स्तरीय फिनटेक हब के विकास को समर्थन देगी।
बीमा क्षेत्र में एफडीआई में बढ़ोतरी
सीतारमण ने बीमा क्षेत्र में स्वीकार्य एफडीआई सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने और आवश्यक सुरक्षा के साथ विदेशी स्वामित्व एवं नियंत्रण की अनुमति देने के लिए बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन का प्रस्ताव किया है। नई संरचना के तहत बोर्ड में कम से कम 50 प्रतिशत निदेशक स्वतंत्र निदेशक होते हुए ज्यादातर निदेशक और प्रबंधन से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्ति भारतीय ही होंगे एवं मुनाफे के एक निश्चित हिस्से को सामान्य आरक्षित निधि के रूप में बरकरार रखा जाएगा।
विनिवेश और रणनीतिक बिक्री
कोविड-19 के बावजूद, सरकार ने रणनीतिक विनिवेश पर काम जारी रखा है। वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल, पवन हंस और नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड सहित सार्वजनिक क्षेत्र के कई उद्यमों का विनिवेश पूरा कर लिया जाएगा। सरकार का आईडीबीआई बैंक के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो अन्य बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण भी वर्ष 2021-22 में पूरा करने का प्रस्ताव है।
सरकार 2021-22 में जीवन बीमा निगम का आईपीओ भी लाएगी, जिसके लिए आवश्यक संशोधन इसी सत्र में लाया जाएगा।
एक बेहद अहम घोषणा में वित्त मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत पैकेज में उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के रणनीतिक विनिवेश पर एक नीति लाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इससे संबंधित नीति को स्वीकृति दे दी है। नीति सभी गैर रणनीतिक और रणनीतिक क्षेत्रों में विनिवेश के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा उपलब्ध कराती है। सरकार ने ऐसे चार क्षेत्र चुने हैं जो रणनीतिक हैं, जहां सीपीएसई में न्यूनतम हिस्सेदारी बरकरार रखी जाएगी और बाकी का निजीकरण कर दिया जाएगा। गैर रणनीतिक क्षेत्रों में सीपीएसई का निजीकरण किया जाएगा, अन्यथा उन्हें बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विनिवेश नीति को गति देने के लिए नीति आयोग ऐसी केन्द्रीय सार्वजनिक कंपनियों की सूची तैयार करेगा, जिनका रणनीतिक विनिवेश किया जाएगा। सरकार ने बजट अनुमान 2020-21 में विनिवेश से 1,75,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद जताई है।
आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास
आकांक्षी भारत के लिए वित्त मंत्री ने समावेशी विकास के अंतर्गत कृषि एवं सहायक क्षेत्रों, किसान कल्याण और ग्रामीण भारत, प्रवासी मजदूर व श्रम और वित्तीय समावेशन को शामिल करने की घोषणा की है।
कृषि: वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। सुनिश्चित कीमत उपलब्ध कराने के लिए एमएसपी व्यवस्था में व्यापक बदलाव हुआ है, जो सभी कमोडिटीज के लिए लागत की तुलना में कम से कम डेढ़ गुना हो गया है। खरीद एक निश्चित गति से निरंतर बढ़ रही है। इसके परिणाम स्वरूप किसानों को भुगतान में भी बढ़ोतरी हुई है।
गेहूं के मामले में, 2013-14 में किसानों को कुल 33,874 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वर्ष 2019-20 में 62,802 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और 2020-21 में इसमें और सुधार हुआ तथा किसानों को 75,060 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इससे लाभान्वित होने वाले गेहूं किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 43.36 लाख हो गई जो 2019-20 में 35.57 लाख थी।
धान के लिए, 2013-14 में 63,928 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 2019-20 में यह वृद्धि 1,41,930 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2020-21 में यह और सुधरकर 1,72,752 करोड़ रुपये हो गई। इससे लाभान्वित होने वाले धान किसानों की संख्या 2020-21 में बढ़कर 1.54 करोड़ पर हो गई, जो संख्या 2019-20 में 1.24 करोड़ थी।
इसी तरह, दालों के मामले में 2013-14 में 236 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान किया गया। 2019-20 में यह धनराशि बढ़कर 8,285 करोड़ रुपये हो गई। इस समय 2020-21 में यह 10,530 करोड़ रुपये है, जो 2013-14 के मुकाबले यह 40 गुना से ज्यादा वृद्धि है।
इसी प्रकार, कपास के किसानों की प्राप्तियों में तेजी से बढ़ोतरी हुई, जो 2013-14 की 90 करोड़ रुपये से बढ़कर 25,974 करोड़ रुपये (27 जनवरी 2021) के स्तर पर पहुंच गई।
इस साल की शुरुआत में, माननीय प्रधानमंत्री ने स्वामित्व योजना की पेशकश की थी। इसके अंतर्गत, गांवों में संपत्ति के मालिकों को बड़ी संख्या में अधिकार दिए जा रहे हैं। अभी तक, 1,241 गांवों के लगभग 1.80 लाख संपत्ति मालिकों को कार्ड उपलब्ध करा दिए गए हैं और वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 21-22 के दौरान इसके दायरे में सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों को शामिल किए जाने का प्रस्ताव किया है।
किसानों को पर्याप्त कर्ज उपलब्ध कराने के लिए, सरकार ने वित्त वर्ष 22 में कृषि कर्ज का लक्ष्य बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। इसी प्रकार, ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष के लिए आवंटन 30,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। नाबार्ड के अंतर्गत 5,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ बनाए सूक्ष्म सिंचाई कोष को दोगुना कर दिया जाएगा।
कृषि और सहायक उत्पादों में मूल्य संवर्धन व उनके निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए की गई एक अहम घोषणा के तहत, अब ‘ऑपरेशन ग्रीन योजना’ के दायरे में अब 22 जल्दी सड़ने वाले उत्पाद शामिल हो जाएंगे। वर्तमान में यह योजना टमाटर, प्याज और आलू पर लागू है।
ई-नैम्स में लगभग 1.68 करोड़ किसान पंजीकृत हैं और इनके माध्यम से 1.14 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है। पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए ई-नैम को कृषि बाजार में लाया गया है, ई-नैम के साथ 1,000 से ज्यादा मंडियों को जोड़ा जा चुका है। एपीएमसी को अपनी अवसंरचना सुविधाएं बढ़ाने के लिए कृषि अवसंरचना कोष उपलब्ध कराया जाएगा।
मछली पालन: वित्त मंत्री ने मछली पकड़ने और मछली उतारने वाले केन्द्रों के विकास में पर्याप्तड निवेश का प्रस्तांव रखा। वित्तक मंत्री ने कहा कि मछली पकड़ने के 5 प्रमुख केन्द्रों – कोच्चि, चेन्निई, विशाखापतनम, पारादीप, और पेटुआघाट- को आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
प्रवासी कामगार और श्रमिक: सरकार ने एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना शुरू की है। उसके बाद में लाभार्थी देश में कहीं भी अपना राशन का दावा कर सकते हैं। एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू है और 69 करोड़ लाभार्थियों तक पहुंच रही है। यह संख्या इस योजना के तहत शामिल लाभार्थियों की कुल संख्या की 86 प्रतिशत है। बाकी चार राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अगले कुछ महीनों में इससे जुड़ जाएंगे।
सरकार ने चार श्रम कोड लागू करने से 20 साल पहले शुरू हुई प्रक्रिया को समाप्त करने का प्रस्ताव किया है। वैश्विक रूप से पहली बार सामाजिक सुरक्षा के लाभ वंचित और मंच कामगारों तक पहुंचेंगे। न्यूनतम वेतन सभी श्रेणी के कामगारों पर लागू होंगे और वह सभी कर्मचारी राज्य बीमा निगम के तहत आएंगे। महिलाओं को सभी श्रेणियों में तथा उचित सुरक्षा के साथ रात की शिफ्ट में भी काम करने की अनुमति दी जाएगी। इसी प्रकार कर्मचारियों पर एकल पंजीकरण, लाइसेंस प्राप्त करना और ऑनलाइन रिर्टन के साथ अनुपालनभार कम किया जाएगा।
वित्तीय समावेश
कमजोर वर्गों के लिए किए गए उपायों के अनुपालन में वित्त मंत्री ने अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत नकदी प्रवाह सहायता को आगे बढ़ाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने मार्जिन मनी की जरूरत 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करने और कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिए ऋणों को भी शामिल करने का प्रस्ताव किया गया। इसके अलावा एमएसएमई क्षेत्र की सहायता के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। सरकार ने इस बजट में इसे क्षेत्र के लिए 15,700 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं, जो इस वर्ष के बजट अनुमान से दोगुने से भी अधिक हैं।
मानव पूंजी को मजबूत बनाना
वित्त मंत्री ने कहा कि हाल ही में घोषित की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का अच्छा स्वागत हुआ है। यह कहते हुए कि 15000 से अधिक स्कूलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सभी घटकों को शामिल करके गुणवत्ता रूप से मजबूत बनाया जाएगा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि एनजीओ/निजी स्कूलों/राज्यों की भागीदारी में 100 नए सैनिक स्कूल स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने एक छत्रक निकाय के रूप में एक भारतीय उच्च शिक्षा आयोग स्थापित करने का भी प्रस्ताव किया है। इसमें मानक, स्थापना, मान्यता, विनियमन और वित्त पोषण के लिए 4 अलग घटक शामिल हैं। लद्दाख में उच्च शिक्षा तक पहुंच के लिए सरकार ने लेह में केंद्रीय विश्व विद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव किया है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण
सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों में 750 एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ऐसे प्रत्येक स्कूल की लागत 20 करोड़ से बढ़ाकर 38 करोड़ तथा पहाड़ी और कठिन क्षेत्रों में 48 करोड़ रुपए करने का भी प्रस्ताव किया गया है। इसी प्रकार अनुसूचित जानजातियों के कल्याण के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति योजना के तहत केंद्रीय सहायता बढ़ाई गई थी और 2025-26 तक छह वर्षों के लिए कुल 35,219 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। इससे अनुसूचित जाति के 4 करोड़ छात्रों को लाभ मिलेगा।
कौशल
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ भागीदारी में कौशल योग्यता, आकलन और प्रमाणीकरण के साथ-साथ प्रमाणीकृत कर्मियों की तैनाती के निर्धारण के लिए एक पहल प्रक्रियाधीन है। जापानी औद्योगिक और व्यावसायिक कौशल तकनीक और ज्ञान के हस्तांतरण में सहायता के लिए जापान और भारत में एक सहयोगात्मक ट्रेनिंग इंटर ट्रेनिंग प्रोग्राम (टीआईटीपी) भी चल रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि अधिक से अधिक देशों के साथ ऐसी पहल की जाएगी।
नावाचार, अनुसंधान एवं विकास
वित्त मंत्री ने कहा कि जुलाई 2019 की अपने बजट भाषण में उन्होंने राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान की घोषणा की थी उन्होंने कहा कि पांच वर्षों के लिए एनआरएफ का परिव्यय 50 हजार करोड़ रुपए होगा। इससे पहचान किए गए राष्ट्रीय प्राथमिकता की जरूरत वाले क्षेत्रों पर ध्यान देते हुए देश में समग्र अनुसंधान इको सिस्टम को मजबूत बनाना सुनिश्चित होगा। सरकार एक नई पहल – राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (एनटीएलएम) की शुरुआत करेगी। इससे प्रमुख भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराई गई शासन एवं नीति संबंधित ज्ञानरूपी दौलत इंटरनेट पर उपलब्ध होगी।
अंतरिक्ष विभाग के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम द न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) कुछ छोटे भारतीय उपग्रहों के साथ ब्राजील से एमेजोनिया उपग्रह ले जाने वाले पीएसएलवी-सीएस51 को लॉन्च करेगा।
गंगायन मिशन गतिविधियों के एक भाग के रूप में चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस तके जैनेरिक स्पेस फ्लाइट आस्पेक्ट पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। पहला मानव रहित लॉन्च दिसंबर 2021 में होने का कार्यक्रम है।
न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन
वित्त मंत्री ने बजट के छः महत्वपूर्ण स्तम्भों पर जोर देते हुए न्याय को तेजी से उपलब्ध कराने के लिए पिछले कुछ वर्षों में ट्रिबुनलों में सुधार लाने के लिए अनेक कदम उठाने का प्रस्ताव किया। उन्होंने ट्रिबुनलों के कामकाज को युक्तिपूर्ण बनाने के लिए आगे उपाय करने का भी प्रस्ताव किया। सरकार ने 56 संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल व्यवसायों का पारदर्शी और कुशल विनियमन सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण के साथ संसद में राष्ट्रीय संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर विधेयक पेश किया है। उन्होंने यह घोषणा भी की कि भारत के इतिहास में आगामी जनगणना प्रथम डिजिटल जनगणना हो सकती है और इस बड़े और महत्वपूर्ण कार्य के लिए वर्ष 2021-2022 में 3,768 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
राजकोषीय स्थिति के बारे में उन्होंने अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रभाव के परिणास्वरूप एक कमजोर राजस्व अंत:प्रवाह को रेखांकित किया। एक बार स्वास्थ्य स्थिति स्थिर होने और लॉकडाउन धीरे-धीरे उठाया गया था। सरकारी खर्च बढ़ गया था। जिसके कारण घरेलू मांग पुनर्जिवित हुई। जिसके कारण 2020-21 के लिए 30.42 लाख करोड़ के मूल बजट अनुमान व्यय की तुलना में संशोधित अनुमान 34.50 लाख करोड़ आंके गए हैं और व्यय की गुणवत्ता बरकरार रखी गई है। संशोधित अनुमान में पूंजीगत व्यय 2020-21 में 4.39 लाख करोड़ रुपये है, जबकि 2020-21 में बजट अनुमान 4.12 लाख करोड़ रुपए रहा।