मुजफ्फरनगर. रक्षाबंधन पर इस बार एक भाई ने अपनी किडनी देकर बहन को ऐसा अनमोल तोहफा दिया, जिससे उसकी बहन को जीवनदान मिला है। नीलम अस्पताल राजपुरा में दिल्ली की इलाही कालोनी निवासी 34 वर्षीय बहन हसन अफरोज पिछले काफी समय से गुर्दे की बीमारी से ग्रस्त थीं और कई अस्पतालों से इलाज करवाने के बाद नीलम अस्पताल में डायलसिस पर चल रहीं थी और उसकी हालत निरंतर बिगड़ती जा रही थी। नीलम अस्पताल के यूरोलोजी एंड ट्रांसप्लांट सर्जन डा. नितिन गुप्ता ने उन्हें किडनी बदलवाने की सलाह दी तो रक्षाबंधन वाले दिन उसके भाई मुजफ्फरनगर यूपी निवासी जावेद हसन (43 साल) ने बहन हसन अफरोज को अंगदान कर उन्हें एक नया जीवन दिया है।

हसन अफरोज को अचानक वर्ष 2013 में पैरों में सूजन आने लगी। इसके बाद उनका टेस्ट कराया गया, जहां डाक्टरों ने बताया कि उनकी किडनी खराब हो चुकी है। डाक्टरों ने किडनी प्रत्यारोपण का सुझाव दिया। हसन अफरोज के पति कौसर अली ने बताया कि पिछले डेढ़ महीने से उनकी पत्नी की हालत खराब हो चुकी थी कि उन्हें पता चला कि राजपुरा में नीलम अस्पताल का रिकार्ड बेहतर है। कौसर अली ने बताया कि नीलम अस्पताल में हसन अफरोज व जावेद हसन की सर्जरी हुई है, अभी दोनों उपचाराधीन हैं।

डा. नितिन ने बताया कि गुर्दे की बीमारी के मरीज दवाइयों और डायलसिस पर दो से तीन साल तक जीवित रह सकते हैं। अगर गुर्दा बदलवाने के लिए कोई आगे आता है तो यह सही और अच्छा विकल्प है। गुर्दा ट्रांसप्लांट हो जाए तो उसकी लाइफ 30-40 वर्ष तक बढ़ सकती है।

जैसा सुनने में आता है कि यह एक महंगा आपरेशन है लेकिन नीलम अस्पताल राजपुरा ने इसे गलत साबित कर दिया है। मरीज का कम रेट पर इसका उपचार किया जा सकता है।