सहारनपुर। दारुल उलूम की वेबसाइट पर गजवा-ए-हिंद को लेकर डाले गए वर्ष 2015 के एक फतवे को आधार बनाकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने सहारनपुर डीएम और एसएसपी को पत्र भेजकर दारुल उलूम के खिलाफ जांच कर कार्रवाई का आदेश दिया था।

मामले में गुरुवार को देवबंद एसडीएम अंकुर वर्मा और सीओ अशोक सिसोदिया ने दारुल उलूम पहुंच संस्था के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी और नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिद मद्रासी से मामले में उनका पक्ष जाना था, लेकिन दूसरे दिन स्थानीय अधिकारियों ने इसकी जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को नहीं सौंपी है। अधिकारी भी इंतजार में है कि जांच रिपोर्ट क्या आती है। जांच रिपोर्ट के आधार पर ही आगामी कार्रवाई की जाएगी।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इससे पूर्व वर्ष 2022 में जारी एक फतवे पर नाराजगी जताई थी। जिसमें गोद लिए बच्चे का संपत्ति में अधिकार न होने और उसके व्यस्क (बालिग) होने के बाद उससे पर्दा करने का उल्लेख किया गया था। आयोग ने इसे बाल अधिकार संरक्षण के विरुद्ध बताते हुए दारुल उलूम को नोटिस जारी किया था।

वर्ष 2023 में भी आयोग ने दारुल उलूम को एक नोटिस जारी किया था। इसमें आयोग ने दारुल उलूम द्वारा शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों के अंग्रेजी और अन्य आधुनिक विषयों की कोचिंग लेने पर रोक लगाने के मामले का संज्ञान लिया था। संस्था के जिम्मेदारों को तलब भी किया गया था।

दोनों मामलों में दारुल उलूम प्रबंधन ने अपना पक्ष रखा, जिसके चलते इन मामलों में आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। बता दें कि दारुल उलूम के खिलाफ अभी तक कभी किसी मामले में रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है।

इस मामले में एसडीएम और सीओ की कमेटी बनाई गई है। जो जांच कर रही है। अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी।