गाजियाबाद।  परीक्षा की तैयारी में जुटे छात्र चाय-काॅफी पीकर देर रात तक जागकर पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इससे उनकी दिनचर्या प्रभावित होने के साथ ही याद करने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है। एमएमजी अस्पताल में काउंसिलिंग के लिए आ रहे छात्रों को मनोवैज्ञानिक देर रात जागकर पढ़ाई करने के बजाय छह से सात घंटे की नींद लेने और रात में चाय और कॉफी कम से कम लेने की सलाह दे रहे हैं। इससे घबराहट, बेचैनी और रक्तचाप कम या अधिक होने की परेशानी से बचेंगे।

एमएमजी अस्पताल के मानसिक चिकित्सा प्रकोष्ठ के मनोचिकित्सक डॉ. साकेतनाथ तिवारी का कहना है कि थकान दूर करने, सुस्ती भगाने या फ्रेश महसूस करने के लिए लोग बार-बार चाय या कॉफी पीते रहते हैं। लेकिन कैफीन छात्रों की सेहत और खासकर सोने की स्थिति को प्रभावित करता है, क्योंकि कैफीन शरीर में 24 घंटे तक रहता है। यह कैफीन मस्तिष्क को जगाए रखता है। इससे छात्र ठीक तरीके से सो नहीं पाते। कैफीन की वजह से देर तक नींद नहीं आती और देर रात तक जगे रहते हैं। नींद पूरी नहीं होने से दूसरे दिन की दिनचर्या भी प्रभावित होती है।

एमएमजी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संतराम वर्मा का कहना है कि रात में सोने से पहले कम से कम 4 से 6 घंटे पहले चाय और कॉफी का सेवन बंद कर देना चाहिए। क्योंकि चाय-कॉफी पीने के 30 मिनट बाद ही कैफीन मस्तिष्क और शरीर को प्रभावित करने लगता है। इससे, चाय पीने के कुछ घंटों बाद बहुत ऊर्जा महसूस होगी और सो नहीं सकेंगे। ज्यादा चाय-कॉफी पीने से नींद में दिक्कत हो सकती है। चाय और कॉफी में मौजूद कैफीन शरीर में 24 घंटे तक रह सकता है। यह दिमाग को जगाए रखता है, जिससे नींद नहीं आती है।

कैफीन के सेवन से नुकसान

नींद की कमी से अगले दिन सुस्ती और आलस्य रहेगा।
कैफीन सेवन करने से थकान महसूस हो सकती है।
बच्चों पर कैफीन का असर ज्यादा हो सकता है।
इससे बच्चों का मूड खराब हो सकता है।
बच्चों में घबराहट, बेचैनी या मतली हो सकती है।
बच्चों की हृदय गति और रक्तचाप में बदलाव आ सकता है।

माता-पिता छात्रों के लिए यह करें

माता-पिता बच्चों को पौष्टिक और ताजा खाना खिलाएं
शरीर में पानी की कमी नहीं हो इसलिए सूप, जूस और पानी दें
फास्ट फूड खिलाने के बजाय घर की बनी चीजें खाने को दें
शाम के समय बच्चाें को खेलने के लिए भेजें

रात में जल्दी सोने के लिए प्रोत्साहित करें।
जबरदस्ती पढ़ाई का दबाव नहीं बनाएं