बागपत। गर्भवती भाभी को जिंदा जलाकर मारने में अदालत ने ननद को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। वहीं सास समेत चार आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।
एडीजीसी राजीव तोमर के मुताबिक मुजफ्फरनगर जिले के कस्बा बुढ़ाना निवासी हाकम अली ने 15 अप्रैल 2015 को सिघावली अहीर थाने में एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें बताया था कि बेटी गुलशाना का निकाह तीन साल पूर्व शाकिर निवासी तितरौदा गांव से किया था। अतिरिक्त दहेज के लिए पति, सास असगरी, बड़ी ननद शहनाज, ननदोई सलीम, छोटी ननद गुल्लो उर्फ गुलकशाह बेटी को प्रताड़ित करते थे। इसको लेकर दो बार पंचायत भी हुई थी। कुछ माह ठीक रहने के बाद ससुराल वालों ने योजनाबद्ध तरीके से सात माह की गर्भवती गुलशाना के साथ दो दिन तक मारपीट की और भूखा प्यासा रखा था।
आरोप है कि 15 अप्रैल 2015 की सुबह आठ बजे गुलशाना के पति शाकिर और छोटे बहनोई अमजद ने हाथ पकड़ा, सास असगरी व बड़ी ननद शहनाज ने पीटा। छोटी ननद गुल्लो व ननदोई सलीम ने गुलशाना पर केरोसीन डालकर जिंदा जला दिया था। मोहल्ले के लोगों ने पानी डालकर आग बुझाई। जेठ व जेठानी और मोहल्ले के लोगों ने बेटी को दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां उपचार के दौरान गुलशाना की मौत हो गई। पुलिस ने आरोपित पति शाकिर को क्लीनचिट दे दी थी। मुकदमे की सुनवाई एडीजे एफटीसी द्वितीय चंचल की अदालत में हुई। वादी समेत आठ गवाहों की गवाही हुई। अदालत ने गवाहों व साक्ष्यों के आधार पर ननद गुल्लो को दोषी करार देते हुए उम्र कैद और 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। दहेज उत्पीडऩ का मामला नहीं पाया गया।
एडीजीसी ने बताया कि गुलशाना ने अस्पताल में मजिस्ट्रेट को बयान दिया था, जिसमें गुलशाना ने बताया था कि ननद गुल्लो ने केरोसीन डालकर आग लगाई थी। अदालत में यह साक्ष्य अहम बना। जिसके आधार पर अदालत ने ननद शहनाज, ननदोई अमजद व सलीम और सास असगरी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।