नई दिल्ली। क्रूड ऑयल की कीमतों में हाल में आई गिरावट ने इस पर फोकस बढ़ा दिया है कि क्या भारत में पेट्रोल डीजल के रेट कम होंगे। क्रूड ऑयल 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे साल 2021 के बाद पहली बार आया है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती पर चर्चा होने लगी है। इस पर 12 सितंबर को पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन ने बताया कि भारत की ऑयल मार्केटिंग कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में हाल की गिरावट के चलते ईंधन की कीमतों को घटाने पर विचार कर सकती हैं। अगर ये ट्रेंड जारी होता है तो पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो सकते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या भारत में पेट्रोल का दाम 75 रुपेय प्रति लीटर और डीजल का रेट 67 रुपये प्रति लीटर पर आएगा? अभी दिल्ली में पेट्रोल का रेट 94.72 रुपये प्रति लीटर और डीजल का रेट 87.62 रुपये है।
विंडफॉल टैक्स की समीक्षा
पंकज जैन ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय ने विंडफॉल टैक्स पर बातचीत की है। इस पर अंतिम निर्णय रेवन्यू डिपार्टमें लेगा। दोनों मंत्रालय इस मुद्दे पर आगे भी चर्चा करेंगे। पेट्रोलियम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच बातचीत विंडफॉल टैक्स की समीक्षा और तेल की कीमतों में संभावित कटौती के फैसले का असर भारत के ऑयल मार्केट और पेट्रोल-डीजल के रेट पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में होगी कटौती
जैन ने कहा कि पिछले 7-10 दिनों में तेल की कीमतें कम हुई हैं। यह देखना होगा कि यह ट्रेंड कितने समय तक बना रहता है। उन्होंने कहा कि उन्हें तेल की कीमतों पर लंबे पीरियड के ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए फैसला लेना होगा। 12 सितंबर को ब्रेंट क्रूड की कीमतें नवंबर के लिए $71.61 प्रति बैरल के करीब थीं, जबकि अमेरिकी क्रूड की कीमतें अक्टूबर के लिए $68.23 प्रति बैरल थीं। ब्रेंट क्रूड, जो वैश्विक मानक है $70 प्रति बैरल से नीचे गिर गया है, जो 2021 के बाद पहली बार है। कई एक्सपर्ट भविष्यवाणी कर रहे हैं कि तेल की कीमतें और भी गिर सकती हैं।
भारत का बढ़ता तेल उत्पादन
ओपेक ने हाल ही में 2024 के लिए वैश्विक तेल डिमांड का पूर्वानुमान घटा दिया है। पंकज जैन ने कहा कि भारत कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी का समर्थन करता है, क्योंकि तेल की मांग बनी हुई है। जैन ने यह भी कहा कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदने पर विचार करेगा, यदि रूस बेहतर दरें पेश करता है। जुलाई में भारत ने चीन को पार करते हुए रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया था।