मुजफ्फरनगर। छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाता है। इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। यह पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और सूर्य अर्घ्य दिया जाता है। संतान की दीर्घायु, सौभाग्य और खुशहाल जीवन के लिए महिलाएं छठ पूजा में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं।
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय खाय के साथ ही शुरू हो गया है। यह महापर्व चार दिनों तक यानी 31 अक्टूबर तक चलेगा। शहर के एटूजेड रोड स्थित कालोनी में छठ पर्व मनाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। यहां पर छठ पर्व मनाने के लिए आकर्षक पंडाल बनाया गया है, जिसमें श्रद्धालु छठ पूजा कर रहे हैं। यह पर्व मनाने वाले श्रद्धालुओं भुवन मिश्रा, संतोष मश्रिा, पंकज मश्रिा, सुशील आदि ने बताया कि इस पर्व पर मूल रूप से नहाए खाए का संबंध शुद्धता से है। इसमें व्रती खुद को सात्विक और पवित्र कर छठ व्रत की शुरुआत करती हैं।
चार दिन के पर्व में तामसिक भोजन का त्याग कर सिर्फ सात्विक भोजन ही किया जाता है। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रती को चार दिन तक जमीन पर सोना होता है। इस दिन व्रती सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं। पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है, क्योंकि मिट्टी के चूल्हा साफ और शुद्ध मानाया जाता है। छठ व्रती छठ पूजा के नहाय खाय का प्रसाद पूरी शुद्धता के साथ बनाते है। इसमें अरवा चावल का भात, चना दाल एवं कद्दू मिला हुआ दाल रहती है। लौकी की सब्जी, नया आलू और गोभी की सब्जी के साथ कई जगह अगस्त के फूल का पकौड़ा भी बनाते है।