मुजफ्फरनगर। जनपद के नगर क्षेत्र में स्थित इस्लामिया इंटर कॉलेज के परिसर से निकलने वाले एक रास्ते को बंद कर दिया गया है, जिससे यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस रास्ते को खुलवाने के लिए हिंदू संघर्ष समिति के तत्वावधान में रविवार को आर्य समाज मंदिर में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक विक्रम सैनी भी शामिल हुए।

आर्यसमाज रोड पर स्थित इस्लामिया इंटर कॉलेज के बराबर से एक रास्ता मौहल्ला बाग प्यारे लाल की ओर जाता था। लेकिन साल 2013 में इस्लामिया इंटर कॉलेज प्रशासन ने इस रास्ते को बंद कर दिया और वहां अपने कॉलेज के छात्रों के लिए साइकिल स्टैंड बना दिया। अब हिंदू संगठनों ने इस बंद रास्ते को फिर से खुलवाने की मांग तेज कर दी है।

रविवार को हुई बैठक में हिंदू संगठन के लोगों समेत पूर्व विधायक विक्रम सैनी मौजूद रहे। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 18 फरवरी तक जिला प्रशासन को इस रास्ते को खोलने का समय दिया जाएगा। यदि प्रशासन निर्धारित समय सीमा तक रास्ता नहीं खोलता है, तो हिंदू संगठन खुद हथौड़े और घन से दीवार तोड़ देंगे।

बैठक के बाद मामला गरमाता देख जिला प्रशासन ने इस पूरे विवाद की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि मामले की सभी कानूनी पहलुओं की समीक्षा की जा रही है, ताकि किसी भी पक्ष के साथ अन्याय न हो।

सीटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप ने बताया कि आज कुछ संगठन द्वारा मीटिंग की गयी है इनके द्वारा हमारे संज्ञान मे मामला लाया गया है की ये सार्वजनिक रास्ता है अगर ऐसा कुछ है तो विधि अनुसार कार्यवाही कर कब्जा मुक्त किया जायेगा।

मौहल्ला बाग प्यारे लाल के निवासियों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सन 2020 में जब उन्होंने इस रास्ते को खुलवाने का प्रयास किया था, तब प्रशासन ने उन्हें सीएए और एनआरसी की बात कहकर कुछ महीनों तक इंतजार करने को कहा था। लेकिन अब जब दोबारा दीवार हटाकर रास्ता खोलने की मांग उठी है, तो प्रशासन टालमटोल कर रहा है।

बाग प्यारे लाल के लोगों का कहना है कि अगर 18 फरवरी तक यह रास्ता नहीं खोला गया, तो वे खुद हथौड़े और घन से दीवार गिरा देंगे। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि प्रशासन हिंदू संगठनों की मांग को नजरअंदाज कर रहा है और लीपापोती कर रहा है, जिससे क्षेत्र के लोग अब आंदोलन के मूड में हैं।

वहीं, इस्लामिया इंटर कॉलेज के प्रबंधक सईद अनवर का कहना है कि कॉलेज वर्ष 1932 में स्थापित हुआ था और दस्तावेजों के अनुसार यह जमीन स्कूल की संपत्ति है, न कि कोई सार्वजनिक रास्ता। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग हिंदू संगठनों और प्रशासन को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं।

सईद अनवर ने यह भी कहा कि यदि जिला प्रशासन इस दीवार को अवैध घोषित करता है, तो कॉलेज प्रशासन खुद इसे गिरा देगा।

इस मामले में अभी तक जिला प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है। हालाँकि, जाँच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। अब सभी की नजरें 18 फरवरी पर टिकी हुई हैं कि क्या प्रशासन कोई कदम उठाएगा या फिर मामला और तूल पकड़ेगा।