मुजफ्फरनगर। जड़ौदा से सकौती के बीच विद्युत लाइन के लिए गांव भैंसी के जंगल में पहुंची टीम को किसानों ने काम नहीं करने दिया। किसानों ने मुआवजा तय न होने तक काम नहीं करने की चेतावनी दी है। अधिकारियों ने समझाने का प्रयास किया, मगर किसान नहीं माने। भाकियू नेता चरण सिंह ने अधिकारियों से वार्ता के लिए पांच दिन का समय लिया है।
जड़ौदा से सकौती के बीच डीएफसीसी की 132 केवी की विद्युत लाइन डाले जाने का कार्य चल रहा है। इसमें बिजली के बड़े टावर लगाए जाने हैं। बृहस्पतिवार को विद्युत निगम की टीम गांव भैंसी के जंगल में जेसीबी के साथ टावर लगाने का कार्य शुरु करने पहुंची। किसानों ने इसका विरोध किया। कहा कि जब तक उनका मुआवजा तय नहीं होगा, तब तक कार्य नहीं करने देंगे। सूचना मिलने पर एसडीएम जीत सिंह राय व सीओ डा रविशंकर मिश्रा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और किसानों को समझाने का प्रयास किया। एसडीएम ने मटौर पॉवर ग्रिड के वरिष्ठ महाप्रबंधक अतुल विनायक सिंघल, उप महाप्रबंधक अनिल बंसल और जेई आदेश कुमार को भी मौके पर बुलवा लिया। अधिकारियों ने किसानों को नियमानुसार मुआवजा दिलाए जाने का आश्वासन दिया, मगर किसान नहीं माने।
किसान जितेंद्र सिंह, संजीव, राजीव, कृष्ण, पदम, भीमसैन, ग्राम प्रधान अमित अहलातव, आशु अहलावत, विशाल अहलावत आदि का कहना था कि उन्हें नियमानुसार मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। इस संबंध में एसडीएम की मौजूदगी में किसानों और विद्युत निगम अधिकारियों की कई बार वार्ता हो चुकी है, मगर सुनवाई नहीं हुई है। भाकियू नेता चरण सिंह भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने किसानों और अधिकारियों से बात की। दोनों के बीच सहमति नहीं बनी। इसके बाद वार्ता के लिए पांच दिन का समय लिया गया। तब तक कार्य को बंद करा दिया गया।
अधिकारियों के साथ वार्ता के दौरान किसान सुभाष की तबीयत अचानक बिगड़ गई। सडीएम ने अपने वाहन से उसे अस्पताल भिजवाया। किसानों का कहना था कि सुभाष के खेत भी टावर लगाया जाना है। वह अधिकारियों से मुआवजा दिलाए जाने की बात कर रहा था। इसी दौरान उसकी तबीयत बिगड़ गई।