मुजफ्फरनगर। पहले चरण में मतदाताओं ने लोकतंत्र की इबारत लिखी तो सियासी दलों का गणित बनने और बिगड़ने लगा। सपा-रालोद गठबंधन ने भाजपा के सामने चुनौती पेश कर दी है। 2017 की मोदी लहर के नतीजे दोहराना भाजपा के लिए आसान नहीं है। जिले में खाली हाथ खड़े गठबंधन की होली में इस बार जीत का रंग बिखर सकता है।
बुढ़ाना विधानसभा सीट पर किसान आंदोलन का असर साफ दिखा। बालियान और गठवाला खाप के गांवों में मतदाताओं ने उत्साह दिखाया। मुस्लिम इलाकों में मतदान का प्रतिशत 60 फीसदी से भी अधिक रहा है। भाजपा के विधायक और प्रत्याशी उमेश मलिक की राहं सपा-रालोद गठबंधन के राजपाल बालियान ने मुश्किलों भर कर दी है। भाजपा का गणित जाट वोट बैंक में सेंध और अति पिछड़े वर्ग के वोट प्रतिशत पर टिका है।
चरथावल विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला कांटे का माना जा रहा है। मंत्री विजय कश्यप के निधन से भावनाओं की लहर पर सवार उनकी पत्नी सपना कश्यप ने चुनाव लड़ा है। दो बार के विधायक सपा-रालोद गठबंधन के पंकज मलिक ने भी यहां मजबूती दिखाई है। बसपा को मिलने वाले मतों पर सबकी नजर है। हार-जीत नजदीकी अंतर से होने के आसार हैं।
सुरक्षित सीट पुरकाजी में घमासान मचा है। सियासत के कई पुराने धुरंधर इस सीट पर चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस से पूर्व मंत्री दीपक कुमार, आजाद समाज पार्टी से पूर्व मंत्री उमा किरन, सपा-रालोद गठबंधन से दो बार के विधायक अनिल कुमार और भाजपा से वर्तमान विधायक प्रमोद उटवाल। यहां नजदीकी मुकाबले के आसार बने हुए हैं। अलमासपुर, सरवट, पचैंडा के मतदाता यहां हार-जीत का गणित लिखते रहे हैं।
मुजफ्फरनगर शहर सीट पर कौशल विकास मंत्री कपिल देव अग्रवाल की प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा के लिए यहां भीतरघात बड़ा खतरा है। सपा-रालोद गठबंधन के सौरभ स्वरूप बंटी ने कड़ी चुनौती पेश की है। नई मंडी क्षेत्र और खालापार पर हार-जीत का गणित टिका है।
मीरापुर के मतदाताओं ने उत्साह दिखाया है। चुनाव में स्थानीय और बाहरी मुद्दा खूब उछला। भाजपा छोडकऱ पहले कांग्रेस और फिर रालोद में गए अवतार भड़ाना से नाराजगी का असर चुनाव पर दिख रहा है। बसपा प्रत्याशी सालिम के प्रदर्शन से जीत-आर का आंकड़ा ऊपर-नीचे हो सकता है। सपा-रालोद गठबंधन के चंदन चौहान ने भाजपा के प्रशांत गुर्जर को कड़ी चुनौती पेश की है।
खतौली विधानसभा सीट का गणित उलझा हुआ है। भाजपा के विक्रम सैनी ने 2017 में यहां सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार सपा-रालोद गठबंधन के राजपाल सैनी उनके लिए बड़ी चुनौती रहे। बसपा के करतार भड़ाना ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। वोट ईवीएम में कैद हैं और लोगों ने अपने-अपने कयास लगाने शुरू कर दिए हैं।
जनता ने नकार दिया पलायन और दंगा
मतदान के दिन जनता ने कैराना पलायन और मुजफ्फरनगर दंगे के मुद्दे को नकार दिया। जिलेभर में इन मुद्दों पर मतदाता चर्चा करने से बचते रहे। यहां माहौल भाईचारे का अधिक रहा।
किसान आंदोलन और आवारा पशु
किसान आंदोलन का मुद्दा छिड़ा, इसके अलावा आवारा पशुओं से परेशानी दिखी। किसानों ने कहा कि आवारा पशुओं से वह बेहद परेशान हैं। भाव और भुगतान के मुद्दे का असर दिखा।
युवाओं ने की शिक्षा और रोजगार की बात
जिले में मतदान के दिन युवाओं ने शिक्षा और रोजगार की बात की। युवाओं का कहना है कि उन्हें बेहतर से बेहतर शिक्षा चाहिए, ताकि वह आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा सके।