मुजफ्फरनगर। शासन ने स्टांप कमी के वादों की समाधान योजना लागू की है। एआईजी स्टांप कार्यालय में स्टांप में कमी के कुल 67 वादों की सुनवाई चल रही है। विभाग की ओर से सभी को नोटिस जारी किए गए हैं। रजिस्ट्री के बैनामों के समय इन पर लगभग 60-65 लाख रुपये की स्टांप चोरी का आरोप है। शासन की ओर से लागू स्टांप कमी के वादों की समाधान योजना का लाभ उक्त वादों के पक्षकारों को मिल सकता है।
प्रदेश सरकार ने राज्य में लंबित स्टांप वादों के त्वरित निस्तारण और राजस्व वसूली में तेजी लाने के लिए स्टांप कमी के वादों की समाधान योजना लागू की है। योजना 31 मार्च तक प्रभावी रहेगी। नए शासनादेश के तहत पक्षकार 100 रुपये का जुर्माना और नियमानुसार ब्याज अदा कर लंबित वादों का समाधान करवा सकते हैं।
उप निबंधन विभाग की तरफ से आय बढ़ाने के लिए भूमि की रजिस्ट्री में स्टांप शुल्क लिया जाता है। मौके पर लोगों की खरीदी जा रही भूमि पर सर्किल रेट से स्टांप शुल्क लगाया जाता है। इसके बाद भू स्वामियों की तरफ से लगाए गए स्टांप की जांच उच्च अधिकारी प्रत्येक माह करते हैं।
जिनके स्टांप में कमी पकड़ी जाती है, प्रशासन उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए नोटिस जारी करता है। साथ ही जुर्माना वसूल किया जाता है। जुर्माना जमा न करने पर मुकदमा दर्ज किया जाता है।
इसके बाद इन मामलों की पत्रावलियां सुनवाई के लिए भेजी जाती हैं। जहां सुनवाई में मूल स्टांप की कमी, प्रतिमाह के हिसाब से 1.60 फीसदी ब्याज और चार गुना तक अर्थदंड लगाया जा सकता है। ऐसे में सरकार की मंशा है कि पुराने मुकदमों के बोझ को कम कर सुनवाई हो। इसलिए चार गुना तक लगाए जाने वाले अर्थदंड पर राहत दी है। अब सिर्फ 100 रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा।
एआईजी स्टांप वीर सिंह का कहना है कि उनकी ओर से 67 पक्षकारों को नोटिस जारी किये गए हैं, जो लोग इच्छुक होंगे उनके मामले स्टांप कमी के वादों की समाधान योजना के तहत निपटा दिये जाएंगे। योजना के तहत इच्छुक लोगों को अधिक अर्थदंड से मुक्ति मिल जाएगी।