मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगे के एक मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। दंगे के दौरान मुस्लिम समाज के लोगों के घरों सहित मस्जिद में डकैती डालकर आगजनी करने के मामले में कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में 10 आरोपित बरी कर दिए। कोर्ट ने मुकदमा दर्ज कराकर आरोप से मुकरने के मामले में वादी को पक्षद्रोही घोषित करते हुए उसके विरुद्ध भी वाद दायर करने का आदेश जारी किया है। अभियोजन के अनुसार, 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगे के दौरान थाना भोराकला क्षेत्र के गांव मुंडभर में करीब 10 घरों और मस्जिद में डकैती तथा उसके उपरांत आगजनी करने के आरोप में 10 लोगों के विरुद्ध 15 सितंबर को मुकदमा दर्ज कराया गया था। गांव के हमीद पुत्र बंदा ने मुकदमा दर्ज कराया था।

आरोप था आठ सितंबर 2013 को उन्मादी नारेबाजी करते हुए अनुज पुत्र जयपाल, नीटू उर्फ सूरजबली पुत्र नंदकिशोर, रवि पुत्र रामफल, शोकेन्द्र पुत्र जिंदा, शिवकुमार पुत्र जगदीश, अमित पुत्र महीपाल, अमरपाल उर्फ बिल्लू पुत्र त्रिलोकी, रामकुमार पुत्र महावीरा, रोहताश पुत्र रामस्वरूप, सतेन्द्र उर्फ चांदी निवासीगण मुंडभर सहित दर्जनों लोगों ने लाठी डंडे और धारदार हथियार लेकर हमला बोल दिया था। हमलावरों ने गांव के शाहबुद्दीन, मेहरदीन, जुम्मा, अब्दुल हमीद, सलीम, शरीफ, भीम, यामीन और अय्यूब के घरों से सोने-चांदी के जेवर आदि लूटकर आग लगाई थी। इसके बाद गांव की मस्जिद में रखा चंदे का पात्र भी लूट लिया था। आग लगा दी थी।

बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल चौधरी ने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई एडीजे-7 कोर्ट में हुई। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपितों को बरी कर दिया। बताया कि एक आरोपित रोहताश एक अन्य मामले में जेल में निरुद्ध है। अभियोजन की याचना पर कोर्ट ने वादी मुकदमा हमीद पुत्र बंदा को पक्षद्रोही करार दिया। पुलिस को दिये गए बयान का कोर्ट में समर्थन न कर अपने बयान से मुकरने पर कोर्ट ने हमीद के विरुद्ध प्रकीर्ण वाद भी चलाने का आदेश दिया है।