
मुजफ्फरनगर। जिले के दर्जनों मदरसों को शिक्षा विभाग की ओर से जारी नोटिस का मामला गरमाता जा रहा है। गैर मान्यता वाले मदरसों से रोजाना 10 हजार रुपये की वसूली वाले नोटिसों के विरोध में जमीयत उलेमा सडक पर उतर आई है। वहीं प्रदेश सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने बडा बयान देते हुए कहा है कि हिंदुस्तान जमीयत के कानून से नहीं चलता।
जिले में 352 मदरसे संचालित हैं। इनमें से 114 मान्यता प्राप्त और 238 गैर मान्यता प्राप्त हैं। पिछले दिनों पुरकाजी के खंड शिक्षा अधिकारी ज्योति प्रकाश तिवारी ने 13 मदरसों/विद्यालयों को नोटिस जारी कर मान्यता अभिलेख जमा कराने के निर्देश दिए थे।
बुधवार को जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तोगी ने एतराज जताते हुए कहा कि शिक्षा विभाग को मदरसों को नोटिस दिए जाने का अधिकार नहीं है। बेसिक शिक्षा विभाग ने जानकारी के अभाव में मदरसों को नोटिस दिया है। उन्हें पत्र लिखा जा रहा है। उन्हें नोटिस वापस लेने होंगे।
मैत्री रस्तोगी ने कहा कि मदरसा शिक्षा परिषद से जिले में 114 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा 238 मदरसे शिक्षा अधिनियम 2012 के तहत संचालित हैं।
बुधवार को इस मामले में जमीयत उलमा का प्रतिनिधिमंडल कलक्ट्रेट पहुंचा। उन्होंने डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी से मुलाकात करते हुए ज्ञापन सौंपा। सचिव कारी जाकिर ने कहा कि शिक्षा विभाग को मदरसों को नोटिस दिए जाने का अधिकार नहीं है। मदरसा बोर्ड और अल्पसंख्यक विभाग ही नोटिस जारी कर सकता है।
बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत नोटिस दिए गए हैं। 2012 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया था, जिसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि मदरसे, वैदिक पाठशालाएं सहित धार्मिक संस्थाएं इस कानून से बाहर होंगे। डीएम से मांग की गई है कि जो गलत तरीके से नोटिस दिए गए है, वह वापस लिए जाने चाहिए।
मदरसों को नोटिस दिए जाने का मामला गरमाया तो बीएसए शुभम शुक्ला ने कहा कि अमान्य विद्यालयों को नोटिस जारी किए गए हैं। पुरकाजी बीईओ ने 13 बिना मान्यता के चल रहे विद्यालयों को नोटिस दिया गया है।
नोटिस में मदरसा शब्द का जिक्र किया गया है, लेकिन उसमें कहा गया है कि अगर वह मदरसा है तो वह दस्तावेज प्रस्तुत कर दें। अगर उनके पास दस्तावेज नहीं हैं तो माना जाएगा कि वह बिना मान्यता के संचालित है। मदरसों पर यह नोटिस प्रभावी नहीं होगा। विद्यालयों को मानक पूरे करने के निर्देश दिए गए हैं।
कौशल विकास राज्यमंत्री कपिलदेव अग्रवाल ने कहा कि हिंदुस्तान जमीयत से नहीं कानून से चलता है। बिना मान्यता के स्कूल और मदरसों पर कार्रवाई होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कोई भी संस्थान बिना मान्यता के नहीं चलेंगे।
उन्होने कहा कि गैर मान्यता शिक्षा संस्थानों को नोटिस दिए गए हैं। इसमें किसी भी तरह का पक्षपात नहीं है। संविधान के तहत कार्य किया जा रहा है। अगर अवैध रूप से मदरसे चल रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पुरकाजी के खंड शिक्षा अधिकारी ज्योति प्रकाश तिवारी ने बताया कि 17 अक्तूबर को 12 मदरसों/विद्यालयों को नोटिस जारी किए थे। जिसमें कहा गया था कि अगर मदरसे/विद्यालय की मान्यता है तो आप अपने विद्यालय/मदरसा की मान्यता संबंधित अभिलेख कार्यालय में तीन दिन के उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
अन्यथा की स्थिति में आपके विद्यालय/मदरसों को गैर मान्यता प्राप्त मानते हुए आरटीई एक्ट के प्राविधानों के अंतर्गत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, अगर आपका विद्यालय खुला पाया जाता है तो शासन से दस हजार रुपये प्रतिदिन का जुर्माना वसूल किया जाएगा और आपके विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए एसडीएम सदर को सूचना प्रेषित कर दी जाएगी।
इस नोटिस के बाद जमीयत उलमा ने 22 अक्तूबर को एक बैठक में इसका विरोध जाहिर करते हुए इसे गलत बताया था। बुधवार को जमीयत उलमा के एक प्रतिनिधिमंडल ने डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी को ज्ञापन देकर नोटिस वापस लिए जाने की मांग की।
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