शामली। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन के आदेश पर एनसीआर में एक जनवरी 2023 से उद्योगों में ईंधन के रूप में कोयले और लकड़ी पर प्रतिबंध लग जाएगा। जिससे जिले के 150 ईंट भट्ठे और करीब 70 उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच जाएंगे। इससे करीब 45 हजार लोगों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है।

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए नए वर्ष में एक जनवरी से उद्योगों में ईंधन के रूप में कोयला व लकड़ी आदि का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित हो जाएगा। पीनएजी, सीएनजी और बायोमास फ्यूल ही इस्तेमाल करने की अनुमति होगी। आयोग ने यह आदेश इसी वर्ष 23 जून को जारी किए थे। इसका पालन कराने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया गया था। जिसकी समयसीमा शनिवार को समाप्त हो रही है।

ईंट निर्माता समिति के अध्यक्ष भूपेंद्र मलिक का कहना है कि जिले में 150 ईंट भट्ठे हैं। जिनसे हजारों परिवार के करीब 30 हजार मजदूरों की रोजी-रोटी चलती थी। पहले कोयले के दाम बेतहाशा बढ़ने से काफी दिक्कत हुई। फिर सरकार ने जीएसटी की दरों में वृद्धि कर ईंट भट्ठा मालिकों की कमर तोड़ दी। सीजन की अवधि भी प्रदूषण का हवाला देकर कम कर दी। पहले आठ-नौ महीने ईंट भट्ठे चलते थे। फिर यह अवधि घटाकर चार माह कर दी गई। अब कोयले और लकड़ी के ईंधन के रूप में इस्तेमाल पर प्रतिबंध के चलते ईंट भट्ठों का संचालन नामुमकिन हो जाएगा।

शामली इंडस्ट्रियल एस्टेट एंड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन और लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष अंकित गोयल ने बताया कि जिले में कोयले और लकड़ी का ईंधन इस्तेमाल करने वाली करीब 70 औद्योगिक इकाईयां हैं। कोयले और लकड़ी के ईंधन के बिना जिनका संचालन मुश्किल हो जाएगा। जिससे करीब 15 हजार मजदूर बेरोजगार हो सकते हैं। ईंधन के दूसरे विकल्प महंगे पड़ेंगे। एनसीआर से जो जिले बाहर हैं, उनकी उत्पादन लागत 20 प्रतिशत तक कम रहेगी। जिससे जिले के उद्यमी उनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे।

जिले के उद्यमियों ने कैबिनेट औद्योगिक विकास मंत्री से मिलकर शामली को एनसीआर से बाहर कराने की मांग की थी। उद्यमियों ने उन्हें ज्ञापन सौंपते हुए कहा था कि एनसीआर में शामिल होने का उद्यमियों और क्षेत्र की जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा है, बल्कि उद्यमियों को इसके चलते भारी नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन उद्यमियों की मांग पूरी नहीं हो सकी।