शामली। भूजल दोहन के लिए जिले की औद्योगिक व वाणिज्यिक इकाइयां लघु सिंचाई विभाग में पंजीकरण कराने तथा एनओसी लेने से बच रही हैं। वहीं, इनके द्वारा भूजल का अंधाधुंध दोहन किया रहा है। जिससे लगातार भूजल स्तर गिर रहा है। इस पर लघु सिंचाई विभाग ने आठ सौ इकाइयों को नोटिस जारी किया गया है।
दस साल से जिले के शामली, कांधला, कैराना, थानाभवन और ऊन ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में शामिल हैं। अंधाधुंध भूजल दोहन से जल स्तर संकट में है। शासन ने सिर्फ घरेलू और कृषि भूमि के लिए जल दोहन के पंजीकरण और एनओसी से छूट दे रखी है। वहीं, औद्योगिक, वाणिज्यिक, आरओ प्लांट, होटल- लॉज, आवासीय कॉलोनियों, रिसोर्ट, निजी चिकित्सालयों, मॉल, वाटर पार्क, मैरिज होम, पैकेज ड्रिंकिंग प्लांट और स्लाटर हाउस, शापिंग कांपलेक्स, वाहन धुलाई केंद्रों को एनओसी लेना तथा पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
जिले में करीब दो हजार इकाइयां भूजल का अंधाधुंध दोहन कर रही हैं। ये इकाइयां पंजीकरण कराने से बच रही हैं। अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जिले में सिर्फ तीन इकाइयों का पंजीकरण है। वहीं, 26 इकाइयों के पास एनओसी है। लघु सिंचाई विभाग की ओर से अभी तक 800 इकाइयों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। लघु सिंचाई विभाग के जेई गौरव भारद्वाज के मुताबिक भूजल का दोहन करने वाले लोग या औद्योगिक इकाइयों के लिए पंजीकरण कराना तथा एनओसी लेना अनिवार्य है।
उन्होंने बताया कि दस किलोलीटर पानी का उपयोग करने के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। पंजीकरण शुल्क पांच हजार रुपये निर्धारित है। दस किलोलीटर पानी के उपयोग के लिए एनओसी अनिवार्य है। ऐसी इकाइयों को नोटिस देकर जागरूक किया जा रहा है। यदि किसी फर्म संस्था द्वारा भूजल दोहन के लिए एनओसी या पंजीकरण के लिए एक माह के अदंर आवेदन नहीं किया गया तो दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
2 से 5 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान
ऑनलाइन पोर्टल निवेश मित्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग को भूगर्भ जल अधिनियम-2019 की धारा-39 अंतर्गत बिना पंजीकरण/अनापत्ति प्रमाण पत्र के भूजल दोहन करने के लिए दोषी पाए व्यक्ति, समूह, संस्था को 2 से 5 लाख रुपये का जुर्माना या 6 माह से एक वर्ष तक का कारावास या दोनों दंड निर्धारित हैं। इस श्रेणी के उपभोक्ता तत्काल आवेदन कर पंजीकरण और एनओसी प्राप्त कर सकते हैं।
औद्योगिक इकाइयों को किया जा रहा जागरूक
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के चेयरमैन अनुज गर्ग का कहना है कि जिले में 70-80 फीसदी औद्योगिक इकाई ऐसी हैं। जिसमें पानी का उपयोग सिर्फ मजदूरों के पीने और जनसुविधाओं में उपयोग होता है। 20 से लेकर 25 फीसदी औद्योगिक इकाइयों में पानी का अधिक इस्तेमाल होता है। ऐसी इकाइयों को पंजीकरण तथा एनओसी लेने के लिए जागरूक किया जा रहा है।