शामली। मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की उपेक्षा के कारण जिले का सुनियोजित विकास लटक गया है। प्राधिकरण के अफसर नियमित रूप से यहां दफ्तर में नहीं बैठते हैं, जिससे लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। इसी वजह से जिले में अनधिकृत कालोनियों को बढ़ावा मिल रहा है।

वर्ष 28 सितंबर 2011 को जिला बनने के बाद शामली को विकास प्राधिकरण का दर्जा नहीं मिल पाया। मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण के अधीन जिला है। पूर्वी यमुना नहर के किनारे नवीन मुख्यालय पर प्राधिकरण कार्यालय भवन के लिए भूमि सालों से आरक्षित है, लेकिन प्राधिकरण कार्यालय भवन निर्माण नहीं हुआ। दस साल से प्राधिकरण कार्यालय नगर पालिका परिषद की मार्किट में किराए के भवन में संचालित है। कार्यालय में सहायक अभियंता को प्रभारी अधिकारी बनाकर नियमित कार्यालय में बैठने और हर मंगलवार को प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को बैठने के लिए निर्देश दिए गए थे। जिससे जनसुनवाई और नोटिस की कार्रवाई पूरी हो सके।

उपाध्यक्ष पद से वीके सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद पांच साल से उपाध्यक्ष का पद खाली चल रहा है। उपाध्यक्ष का कार्यभार डीएम मुजफ्फरनगर को दे दिया गया। वह सिर्फ मुजफ्फरनगर जिले तक सिमट कर रह गए हैं। उपाध्यक्ष के बाद प्राधिकरण के सचिव मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण कार्यालय में रहते हैं। साल में एक या दो बार जिला स्तरीय अधिकारियों से मिलकर अपने कार्यालय आने की पूर्ति कर लेते है। उपाध्यक्ष व सचिव की ओर नियमित रूप से शामली जिला मुख्यालय में न बैठने से प्राधिकरण की जनसुनवाई बाधित हो रही है। जनसुनवाई न होने से जिले में अनधिकृत कालोनियों को बढ़ावा मिल रहा है।

जिला मुख्यालय से मेरठ-करनाल, पानीपत-खटीमा और दिल्ली-सहारनपुर हाईवे और बाईपास निकल जाने से भूमि की खरीद फरोख्त बढ़ी है। जिससे जिले में प्रोपर्टी के दामों में उछाल आया है। पिछले दिनों प्राधिकरण के क्षेत्र में जिला पंचायत की ओर से काॅलोनियों के नक्शे पास करने का मामला उजागर हुआ था। मामला उच्च न्यायालय इलाहाबाद तक पहुंचा था। मुजफ्फरनगर डीएम के निर्देश पर एडीएम संतोष कुमार सिंह और प्राधिकरण के सचिव आदित्य प्रजापति को जांच दी गई। एडीएम और प्राधिकरण सचिव आदित्य प्रजापति ने एक सप्ताह पूर्व मौके पर जाकर जांच करके शिकायत को सही पाया गया था।

जिले में कई हाईवे और एक्सप्रेसवे निकलने से यहां पर भूमि के बिक्री में उछाल आया है। कुछ स्थानों पर भूमि का भाव एक करोड़ रुपये प्रति बीघा से ऊपर तक पहुंच गया है। प्रोपर्टी डीलर एवं कॉलोनाइजर सक्रिय हो गए हैं। जिला मुख्यालय पर गिनी-चुनी स्वीकृत कालोनियां है। कई कालोनियां अनधिकृत रूप से विकसित हो गई हैं। जिला प्रशासन ने अवैध कालोनियों को नोटिस जारी किए थे। अवैध कालोनियों पर नियंत्रण के लिए मौजूदा समय में जिले में कैराना, कांधला, झिंझाना, ऊन, बिडौली और गढ़ीपुख्ता, थानाभवन, जलालाबाद को मिलाकर नया प्राधिकरण बनाए जाने की आवश्यकता है। नया प्राधिकरण बनने से जिले का सुनियोजित विकास की संभावना बढ़ जाएगी। शामली जिले की प्राधिकरण की सीमा का विस्तार होने के बाद एक साल से अधर में लटकी शामली विकास महायोजना 2031 लागू हो सकेगी।