शामली। जिले से होकर तीन हाईवे चल रहे हैं जबकि अन्य दो हाईवे प्रस्तावित है,जिनके निर्माण की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन जिले में ट्राॅमा सेंटर का निर्माण नहीं होना तो दूर अभी तक भूमि भी चिन्हित नहीं हो सकी है। ट्रॉमा सेंटर न होने से गंभीर घायलों को मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल या मेरठ मेडिकल रेफर करना पड़ता है।
शामली जिले से होकर मेरठ-करनाल हाईवे, पानीपत खटीमा हाईवे और दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे पहले से ही चल रहे हैं। इनके अलावा अब दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर और अंबाला-शामली इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रस्तावित है। इनके निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। जिले से होकर कई हाईवे गुजरते हैं। इसके बाद भी जिले में ट्रॉमा सेंटर नहीं है। जिले में प्रस्तावित ट्रॉमा सेंटर के लिए पूर्व में दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे पर कस्बा थानाभवन के निकट स्वास्थ्य विभाग ने दो हजार गज भूमि को चिन्हित कर शासन को प्रस्ताव भेजा था। लेकिन शासन ने प्रस्ताव को यह कहकर खारिज कर दिया कि चिन्हित की गई भूमि शामली जिला मुख्यालय से दूर है। इसलिए ट्रॉमा सेंटर के लिए जिला अस्पताल के निकट ही भूमि का चयन किया जाए।
इसकी वजह ये है कि अगर घायलों को किसी जांच या चिकित्सक की जरूरत पड़ती है तो तत्काल जिला अस्पताल से सुविधा मिल सकेगी। शासन से थानाभवन में चिन्हित भूमि का प्रस्ताव खारिज होने के करीब एक साल बाद भी स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन ट्रॉमा सेंटर के लिए नई भूमि चयनित नहीं कर पाया है। ट्रॉमा सेंटर न होने से गंभीर रूप से घायलों को मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल या फिर मेरठ मेडिकल रेफर करना पड़ता है।
शामली में प्रस्तावित ट्रॉमा सेंटर के लिए शासन स्तर से लगभग 1.20 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत है, लेकिन भूमि चयनित न होने से बजट जारी नहीं हो रहा है। ट्रामा सेंटर में सड़क दुर्घटना में घायलों के उपचार के लिए ऑर्थोपेडिक सर्जन, सिविल सर्जन समेत पूरा स्टाफ नियुक्त होता है। माना जा रहा है कि अगर जल्द ही भूमि चयनित नहीं होती है तो यह प्रस्ताव खारिज हो सकता है या फिर लटक सकता है।
ट्रॉमा सेंटर के लिए पूर्व में थानाभवन के निकट भूमि चिन्हित कर शासन को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे शासन ने खारिज कर दिया था। शासन के निर्देश पर जिला अस्पताल के आसपास भूमि की तलाश की जा रही है। ट्रॉमा सेंटर के लिए करीब तीन हजार गज भूमि की आवश्यकता होती है। भूमि चिन्हित होने पर शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।