शामली| केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 2023-24 के लिए गन्ना के लिए 315 रुपये प्रति कुंतल मूल्य घोषित किया गया है। सरकार ने 2023-24 सत्र के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य 10 रुपये बढ़ाकर 315 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। इसकी कई किसानों एवं किसान संगठन के प्रतिनिधियों से सराहा तो कई ने इसे नाकाफी बताया। इससे पहले 305 रुपये गन्ना समर्थन मूल्य था।
पिछले वर्ष भी केन्द्र सरकार ने गन्ना का समर्थन बढ़ाया था, जिसका लाभ उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को प्रदेश सरकार ने नहीं दिया था। पहले केन्द्र के रेट से प्रदेश सरकारें दो गुणा दाम बढ़ाती थी, लेकिन जिसका लाभ किसानों को मिलता था, लेकिन अब प्रदेश के किसानों का इसका लाभ नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार को 400 और प्रदेश सरकार को 500 रूपये प्रति कुंतल गन्ने का रेट घोषित करना चाहिए। – अनिल मलिक प्रदेश महासचिव भाकियू शामली
सरकार द्वारा बढ़ाया गया गन्ना समर्थन मूल्य किसानों के लिए नाकाफी है। जो आज का रेट है और महंगाई बढ़ रही है उसको देखते हुए केंद्र सरकार को फैसला लेना चाहिए था। लागत मूल्य बढ़ा है। फसलों का मूल्य उसके मुताबिक बढ़ाना चाहिए था। गन्ना का मूल्य 400 रुपये प्रति कुंतल होना चाहिए।
किसान के गन्ने के समर्थन मूल्य दस रूपये ऊंट के मुंह में जीरा है। जिससे किसान संतुष्ट नहीं है। केंद्र सरकार को 100 रूपये कम से कम बढ़ने चाहिए थे। पेस्टीसाइड से लेकर डीजर, पेट्रोल के सभी दाम बढ़ गए हैं। ऐसे में किसान की फसलों का उनका लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार किसान के गन्ना का दाम 400 रुपये प्रति कुंतल घोषित करें।
यह लोकसभा चुनाव को लेकर किसानों को लुभाने वाला फैसला है, लेकिन इससे किसान को कोई लाभ नहीं होगा। सरकार को बढ़ती महंगाई के मद्देनजर कम से कम 25 रूपये बढ़ाने चाहिए थे। जिससे किसानों को उसका लाभ मिल सकेगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र सरकार प्रति वर्ष बढ़ाती है, लेकिन राज्य परामर्शित मूल्य प्रदेश सरकार घोषित करती है। पिछले तीन साल से केंद्र सरकार हर वर्ष 10 रूपये बढ़ाती आ रही है, लेकिन उसके अनुपात में प्रदेश सरकार नहीं बढ़ा रही है। गत वर्ष भी केन्द्र ने न्यूनतम मूल्य में बढ़ोतरी की थी, लेकिन प्रदेश सरकार ने कोई मूल्य नहीं बढ़ाया। किसान का गन्ना 350 रुपये बिकने पर भी नुकसान है। – दीपक शर्मा, जिलाध्यक्ष किसान मजदूर भारतीय संगठन
यह रेट किसान के लिए लाभदायक नहीं है। किसान की लागत बढ़ती है, जिससे किसान का खर्च बढ़ गया है। किसान का भुगतान एक वर्ष बाद होता है। बिजली बिल, बच्चों की स्कूल फीस, चिकित्सकों की दवाईयां सब दोगुना हो गई है। ऐसे में सरकार को किसान की ओर देखने की जरूरत है। – राजीव निर्वाल, किसान
केन्द्र सरकार द्वारा बढाए गए समर्थन मूल्य से किसान का फायदा होगा, लेकिन पिछले एक वर्ष में महंगाई दो गुणा से भी ज्यादा हो गई है। केन्द्र और प्रदेश सरकार को बढ़ती महंगाई के मददेनजर किसान की फसलों का दाम बढ़ाना चाहिए। दस रूपये बेहद कम है। कम से कम 50 रूपये की बढ़ोतरी होनी चाहिए थी।
केन्द्र सरकार को चाहिए कि कम से कम 400 रूपये कुंतल घोषित करना चाहिए। दस रूपये बढ़ाने से किसान का कुछ नहीं होने वाला। यह सरकार किसान विरोधी है, जो किसान का फायदा नहीं चाहती है। गन्ने की बुआई में जितना खर्च आता है उसके देखते हुए 100 रूपये की वृद्धि भी कम है।
सरकार प्रति वर्ष किसान का समर्थन मूल्य बढा रही है। जिससे किसान बेहद खुश है और आगामी सत्र में इसका लाभ किसानों को मिलेगा। सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं चलाकर उसकी आए दोगुणा करने का काम किया है। किसान को हर क्षेत्र में इसका लाभ मिल रहा है। दस रूपये बढने से किसान को पीएम मोदी ने तोहफा दिया है।