शामली। लक्ष्मीपुरा में 40 फीट लंबी ठोकर बहने और सहमत मेंं तटबंध का हिस्सा टूटने के बाद से विभागीय अधिकारियों को उन्हें जोड़ने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। खुद डीएम रविंद्र सिंह मौके पर पहुंचे तथा अपने सामने तटबंध को ठीक कराया। लक्ष्मीपुरा में अस्थाई रूप से ठोकरे को जोड़ने के लिए टीमें जुटी हुई हैं। तटबंध और ठोकरे टूटने के पीछे विभागीय अधिकारियों की लापरवाही अनदेखी को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। मगर हैरत की बात है कि बाढ़ नियंत्रण के लिए जिले को पिछले दो साल से बजट ही जारी नहीं किया गया है। डीएम और अन्य अधिकारियों के आदेश पर ठोकर और तटबंध को जोड़ा गया है।
पड़ताल के दौरान सामने आया है कि पिछले दो साल से बाढ़ नियंत्रण के नाम पर जिले को बजट जारी नहीं किया गया है। नतीजन, सिंचाई विभाग के अधिकारी अपने खर्च पर तटबंध और ठोकरों को ठीक कराने में जुटे हुए हैं। तटबंध को ठीक किया जा चुका है। अब सवाल यह उठता है कि बाढ़ नियंत्रण के लिए बजट जारी क्यों नहीं किया गया, जबकि सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बजट बनाकर शासन को भेजा था। पूर्व में 10 लाख से अधिक का बजट जिले को आपदा प्रबंधन के लिए मिलता था। हालांकि,डीएम के आदेश पर बाढ़ नियंत्रण के लिए कार्य में टीमें जुटी हैं।
पिछले साल भी बाढ़ नियंत्रण के लिए बजट भेजा गया था मगर स्वीकृत नहीं किया गया। इस बार भी बजट नहीं मिला है। फिर से बजट के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा।
आपदा प्रबंधन के लिए भी हर साल जिले के लिए शासन द्वारा बजट जारी किया जाता है। शनिवार को ही आपदा प्रबंधन के लिए 10 लाख का बजट जारी किया गया । आपदा प्रबंधन में यदि किसान का पशु मर गया, फसल क्षतिग्रस्त , पशु चारे की व्यवस्था शामिल होती है। आपदा प्रबंधन के तहत ही यदि कोई डूबकर मरता है या फिर बिजली गिरती है तो उसके परिवार को चार लाख की मदद दी जाती है। अब इस स्थिति में खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्या मात्र 10 लाख का बजट आपदा प्रबंधन के लिए काफी है। हालांकि, इस बारे में जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नेहा दूबे का कहना है कि यदि कोई बड़ी आपदा नहीं होती है तो 10 लाख का बजट काफी होता है। वहीं , किसान राजेंद्र सिंह, संदीप, महेंद्र का कहना है कि आपदा प्रबंधन के लिए जिले को कम से कम 50 लाख का बजट मिलना चाहिए, ताकि पहले से ही आपदा से निपटने के लिए तैयारी सही ढंग से की जा सके।
चौसाना क्षेत्र के किसान बाबूराम, सोहनवीर, आरिफ का कहना है कि यमुना के पानी के कारण उनकी धान और गन्ने की फसल बह गई है। जिससे वे कर्ज तले दब गए हैं। प्रशासन को जल्द से जल्द किसानों को आर्थिक मदद दिलानी चाहिए, ताकि किसानों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं हो।
एडीएम संतोष कुमार सिंह ने बताया कि किसानों की फसल के हुए नुकसान का आकलन करने के लिए लेखपाल, कानूनगो आदि की टीम को लगाया गया है। टीमों की रिपोर्ट के आधार पर किसानों को आर्थिक मदद के लिए चयनित किया जाएगा। जिले में बाढ़ के कारण कोई भी जनहानि नहीं है।