शामली। केंद्र सरकार ने गन्ने के (एफआरपी) में 25 रुपये का इजाफा किया है। सरकार के इस फैसले के बाद गन्ने की एमएसपी 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। एफआरपी बढ़ाने को लेकर किसानों के साथ-साथ राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों से बात की गई। उन्होंने कुछ यू प्रतिक्रिया दी। भाकियू जिलाध्यक्ष कालिंद्र मलिक का कहना है कि किसान को इससे कोई लाभ मिलने वाला नहीं है। सरकार किसानों को गुमराह कर रही है। किसानों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। ये भाजपा का चुनावी स्टंट है।

सपा के कैराना लोकसभा प्रभारी प्रो़ सुधीर पंवार ने कहा कि इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। चुनाव से पहले किसानों को लुभाने की कोशिश सरकार ने की है। यहां एफआरपी का कोई फायदा नहीं होगा। 340 में कुछ भी नहीं हो पाएगा। रालोद नेता राजन जावला का कहना है की केन्द्र सरकार द्वारा गन्ने पर एफआरपी बढ़ाये जाने से किसानों का भला होने वाला नहीं है। किसानों को उनकी मांगों के आधार पर एमएसपी गारंटी कानून और स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सीटू प्लस 50% के आधार पर फसलों का मूल्य घोषित होना चाहिए

किसान यूनियन के अध्यक्ष चौधरी सवित मलिक ने कहा कि इस एफआरपी का लाभ उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानों को नहीं मिल पाएगा, क्योंकि यहां पर एसएपी रेट पहले से ही एफआरपी से अधिक है। इसलिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानों को इससे निराशा ही हाथ लगेगी। आने वाले सालों में जरूर इसका लाभ उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानों को मिल सकता है।

कांग्रेस जिलाध्यक्ष दीपक सैनी का कहना है कि चुनाव नजदीक होने के कारण किसानों को लॉलीपॉप दिया गया है। इससे किसानों को लाभ नहीं मिलेगा। सरकार को किसानों को दिल्ली कूच करने देना चाहिए। भाकियू के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के महासचिव कपिल खाटियान ने कहा कि प्रदेश में इसका कोई लाभ नहीं होगा। राज्य सरकार को भी कम से कम 30 रुपये बढ़ाने चाहिएं, तभी प्रदेश के किसानों को इसका लाभ मिल सकेगा।