शामली। पहाड़ों में बारिश से यमुना में लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। बाढ़ चौकियों पर कर्मचारियों को विभागीय अधिकारियों ने अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। मगर कुछ चौकियों से जहां कर्मचारी नदारद मिले वहीं बिड़ाैली, चौसाना क्षेत्र में चौकियां ही नहीं मिली। यमुना तटबंध में भी जगह-जगह दरारें है। इनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है।

जिलेभर में 17 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई है। कैराना मेंं यमुना नदी के यूपी साइड में शासन द्वारा बाढ़ से बचाव के लिए तटबंध बनाया हुआ है। पहाड़ों पर बरसात के चलते यमुना नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव चल रहा है, लेकिन तटबंध की ठोकरों की मरम्मत नहीं हुई है। तटबंध की सड़क पर भी जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं। कई स्थानों पर तटबंध में दरार है।

तहसील क्षेत्र में फतेहपुर, इस्सोपुर खुरगान, रामड़ा और यमुना पुल पर चार बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं। पड़ताल के दौरान बाढ़ चौकियों पर कर्मचारी मौजूद नहीं मिले। अधिकारियों का दावा है कि खतरे की स्थिति में बाढ़ चौकियों पर 24 घंटे ड्यूटी लगाई जाती है।

बाढ़ से निपटने के लिए बिड़ौली, चौसाना में चार अस्थायी बाढ़ चौकी बनाई गई है। धरातल पर कोई भी चौकी नहीं मिली। हल्का लेखपाल अकरम अली ने बताया कि टीम विभिन्न गांवों में बैठकर निगरानी करती है। यमुना में अभी बाढ़ के हालात नहीं है। बाढ़ की स्थिति में चौकी चालू कराई जाएगी। हेल्पलाइन पर सूचना दें, तुरंत कार्रवाई होगी।

2013 में हथिनीकुंड बैराज से यमुना नदी में आठ लाख क्यूसेक पानी प्रति सेकेंड छोड़े जाने के कारण यमुना ने क्षेत्र में तबाही मचा दी थी। सहपत में बाढ़ के कारण एक किशोरी की डूबने से मौत हो गई थी। हजारों बीघा फसल बर्बाद हो गई थी। सैकड़ों पशु बाढ़ में बह गए थे। मवी के पास यमुना तटबंध बाढ़ के पानी में बहने के कारण सहपत, मवी, मामौर आदि गांव जलमग्न हो गए थे।

गांव खुरगान निवासी आरिफ, नौशाद व शहजाद तथा काकौर निवासी गुलशाद का कहना है कि खादर के ग्रामीण तटबंध के रास्ते से ही वाहनों के द्वारा हरियाणा आते-जाते हैं, लेकिन तटबंध की सड़क जगह-जगह से टूटी हुई है। जिस कारण तटबंध से गुजरना मुश्किल होता है।

शीतल गढ़ी के किसान मास्टर सोरन लाल का कहना है कि पिछले वर्ष यमुना नदी में अधिक पानी आने से 12 बीघा जमीन में खड़ी गन्ने की फसल बह गई थी। इस बार अभी तक ठोकर नहीं बनी। फिर से नुकसान हो सकता है।
मंगलोरा के किसान सुमित कुमार ने बताया हमारी जमीन यमुना नदी के किनारे 40 बीघा है। हर वर्ष यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से फसलें नष्ट होती है। प्रशासन को जमीनी स्तर पर चौकियां स्थापित करनी चाहिए। ख्वाजपुरा के ग्राम प्रधान नासिर अली ने बताया कि प्रशासन ने इस बार समय रहते कदम नहीं उठाया तो बड़ा नुकसान हो सकता है।

आखिर कहां खर्च होता है 10 लाख से अधिक का बजटहर साल बाढ़ नियंत्रण के लिए जिले को दस लाख से अधिक का बजट मिलता है। तटबंधों की मरम्मत का कार्य भी विभागीय अधिकारियों ने नहीं कराया है। सवाल उठता है कि बजट खर्च कहां हो रहा है।

बाढ़ चौकियों पर कर्मचारियों को अलर्ट किया गया है। यमुना तटबंध में दरारें आने की जानकारी नहीं है। नदारद रहने वाले कर्मचारियों को नोटिस जारी किया जाएगा। लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
संतोष कुमार, एडीएम शामली