कैराना। एटीएस की टीम ने मदरसों और मकतबों पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी। इस दौरान एटीएस ने मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या, मदरसा संचालक के बारे में, मदरसे रजिस्ट्रेशन संबंधी और आय के साधन के बारे में जानकारी जुटाई।
मंगलवार शाम और बुधवार को एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड (एटीएस) की टीम के सदस्य नगर व देहात के मदरसों और छोटे मकतबों पर पहुंचे। सूत्रों के अनुसार एंटी टेररिस्ट स्क्वाड टीम ने मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या, मदरसे के संचालक का नाम, मदरसे की रजिस्ट्रेशन और मदरसा चलाने के लिए आय के साधन के बारे में जानकारी ली। एक मदरसा संचालक ने बताया कि मंगलवार शाम करीब चार बजे वह बाहर गए हुए थे। उनके पीछे दो युवक मदरसे में आए थे। जिन्होंने मदरसे के छात्रों की संख्या, संचालक का नाम, मदरसे का रजिस्ट्रेशन और मदरसे की आय के साधन के बारे में जानकारी हासिल की।
वहीं मदरसों की एटीएस द्वारा जांच की सूचना पर हड़कंप मचा हुआ है। मामले में कोतवाली पुलिस ने बताया कि उन्हें एटीएस के आने के बारे में कोई जानकारी नही है। एटीएस अपना कार्य गोपनीय तरीके से करती है।
कैराना के लोगों की काफी रिश्तेदारी पाकिस्तान में होने के कारण यहां के लोग वीजा पर पाकिस्तान आते जाते थे। पाकिस्तान में पान सुपारी महंगी होने के कारण यहां के लोग पान सुपारी पाकिस्तान ले जाते थे तथा वापस लौटते समय वहा से डिस्को नामक कपड़ा व मिर्जा की चप्पल लेकर आने थे। इस काम में उन्हें मुनाफा होता था। धीरे-धीरे सोने व हथियारों की तस्करी होने लगी। गठरी व्यवसाय में ठेकेदार एक महिला को आने जाने का खर्च व तीन हजार रुपये देता था। लेकिन बाद में सोने का भाव अंर्तराष्ट्रीय होने के बाद सोने की तस्करी सन 2000 में बंद हो गई थी।
17 जून 2021 में बिहार के दरभंगा रेल ब्लास्ट में भी कैराना का नाम सामने आया था। 30 जून को एनआईए ने हैदराबाद से कैराना निवासी दो सगे भाइयों नासिर खान व इमरान खान को ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार किया था। एक जुलाई को एनआईए ने कैराना में दबिश देकर सलीम टुइयां व कफील को भी गिरफ्तार कर लिया था। इसके अलावा कैराना का इकबाल काना दशकों पहले पाकिस्तान भाग गया था तथा वहां रहकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।