शामली। आदर्श मंडी थानाक्षेत्र में मोहल्ला रेलपार स्थित प्राचीन सिद्धपीठ सदाशिव मंदिर से बृहस्पतिवार को दिनदहाड़े भगवान शिव की पीतल की मूर्ति चोरी हो गई। मूर्ति चोरी होने की सूचना पर श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में लग गई। श्रद्धालुओं ने मूर्ति चोरी पर रोष व्यक्त किया।

शहर के कुड़ाना रोड मोहल्ला रेलपार में प्राचीन सिद्धपीठ सदाशिव मंदिर है। मंदिर में करीब दो फीट की पीतल की भगवान शिव की मूर्ति गृर्भगृह में स्थापित थी। बृहस्पतिवार सुबह तक मूर्ति मंदिर में थी। शाम करीब चार बजे श्रद्धालु जब मंदिर में पहुंचे तो मूर्ति वहां पर नहीं मिली। मूर्ति लकड़ी के फ्रेम में शीशे के अंदर थी और उस पर ताला लगा हुआ था। चोरों ने लकड़ी के फ्रेम को हटाकर अलग कर दिया और वहां रखी मूर्ति चोरी कर ले गए। मूर्ति चोरी होने की सूचना मिलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में पहुंच गई।

श्रद्धालुओं ने मूर्ति चोरी होने पर रोष व्यक्त किया। सूचना पर पहुंची आदर्श मंडी पुलिस और फोरेंसिक टीम ने मंदिर में पहुंचकर जांच पड़ताल की। सीओ सिटी अमरदीप मौर्य ने भी मौके पर पहुंचकर जानकारी ली। श्रद्धालुओं ने पुलिस से मूर्ति को जल्द बरामद करने और आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की। सीओ ने बताया कि अभी इस मामले में तहरीर नहीं मिली है। तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।

सदाशिव मंदिर में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। आसपास घरों पर भी सीसीटीवी कैमरे न मिलने पर पुलिस के लिए चोरों की तलाश करना चुनौती बना हुआ है। पुलिस ने मंदिर के आसपास के जंगल में मूर्ति की तलाश में कांबिंग की, लेकिन मूर्ति का पता नहीं चल सका।

श्रद्धालु ऋषिपाल ने बताया कि मंदिर में भगवान शिव की पीतल की मूर्ति करीब दस साल पहले विधि विधान से स्थापित की गई थी। लगभग दो फुट की भगवान शिव की मूर्ति का वजन करीब 12 किलो है। मंदिर के सेवादार हरिओम पाठक ने बताया मूर्ति को लकड़ी के फ्रेम में शीशे के अंदर रखा गया था और ताला लगाया हुआ था। श्रद्धालुओं के आने जाने के लिए मंदिर दिन में खुला रहता है। उन्होंने बताया मंदिर में पुजारी पंडित गिरीराज रहते हैं। सुबह वे किसी काम से खेकड़ा गए थे।

प्राचीन सिद्धपीठ सदाशिव मंदिर मराठा काल का पहले का बताया गया है। यह मंंदिर शहर के प्राचीन चार मंदिरों में से एक है। सेवादार हरिओम पाठक के मुताबिक करीब 150 साल रेलवे स्टेशन बाबा देवगिरी महाराज आए थे। उन्होंने मंदिर की तरफ इशारा करते हुए बताया था कि वहां पर शिव मंदिर है। उस समय वहां पर जंगल था और झाड झंकाार खड़े थे। उन्होंने वहां जाकर देखा तो तीन चार फुट का मंदिर और उसमें शिवलिंग स्थापित था। इसके बाद वहां पर मंदिर निर्माण शुरू किया गया था।