शामली: शामली में सोमवार रात एसटीएफ मेरठ ने चौसाना-गंगोह मार्ग पर उदपुर ईंट भट्ठे के पास कार सवार चार बदमाशों से मुठभेड़ में मार गिराया। आमने-सामने की हुई फायरिंग में गोली लगने से मुस्तफा उर्फ कग्गा गैंग और मुकीम काला गैंग का शार्प शूटर एक लाख का इनामी अरशद मारा गया।
शामली में एनकाउंटर में मारे गए एक लाख के इनामी बदमाश बाढ़ी माजरा गांव निवासी अरशद ने 17 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। साल 2011 में उसने शामली में ही पहली वारदात डकैती को अंजाम दिया था। उसका अंत भी शामली जिले में ही हुआ।
बाढ़ी माजरा गांव का रहने वाला अरशद चार भाइयों में सबसे छोटा था। बड़े भाई राशिद, साजिद और वाजिद तीनों शादीशुदा है, जबकि 30 वर्षीय अरशद अविवाहित था। तीनों भाई गांव में ही खेतीबाड़ी करते हैं। ग्रामीणों के अनुसार, युवा अवस्था में आते ही अरशद कुख्यात बदमाश मुस्तफा उर्फ कग्गा के संपर्क में आ गया था। अरशद ने पहली डकैती 2011 में शामली जिले में डाली थी। इसका मुकदमा शामली कोतवाली में दर्ज हुआ था।
इसके बाद वह अपराध की दलदल में फंसता चला गया। उसने हत्या, डकैती और लूट जैसे संगीन अपराधों को अंजाम दिया। डकैती के एक मामले में 10 साल की सजा काटने के बाद वह करीब छह माह पहले ही जेल से आया था। जेल से बाहर आते ही उसने दोबारा अपराध करना शुरू कर दिया। 13 दिसंबर को गंगोह कोतवाली पुलिस ने उसकी हिस्ट्रीशीट खोल दी थी। उधर, एनकाउंटर का पता चलते ही तीनों बड़े भाई शव लेने के लिए शामली के लिए रवाना हो गए थे।
मृतक अरशद के भाई राशिद ने बताया कि अरशद पूर्व में कग्गा गैंग से जुड़ा था, मगर अब वह किसी भी गैंग में नहीं था। तीन माह पहले ही उसे राजस्थान में जमात में भेजा था। कहा था कि जमात में जाएगा तो पूरी तरह से सुधर जाएगा। जमात में जाने के लिए परिजनों ने उसे तीस हजार रुपये भी दिए थे। जमात से आने के बाद वह नमाज भी पढ़ने लगा था। मगर अब मुठभेड़ कैसे हुई उन्हें जानकारी नहीं है।
अरशद की मां हुसैना ने बताया कि जब अरशद जेल से रिहा होकर घर आया था। तब उसने करीब दो महीने परिवार के साथ बिताए। उस वक्त ऐसा लग रहा था कि शायद वह सुधर गया है। 20-25 दिन पहले घर से जमात में जाने की बात कहकर निकला था। इसके बाद उससे कोई संपर्क नहीं हुआ।
रोते- बिलखते हुए हुसैना ने बताया कि अरशद बचपन में बेहद शांत और मासूम था, लेकिन किस्मत ने उसे गलत राह पर धकेल दिया। जब वह कुख्यात बदमाश मुस्तफा उर्फ कग्गा के संपर्क में आया, तो वह अपराध की दुनिया में फंसता चला गया। उसे काफी समझाया कि यह रास्ता ठीक नहीं है, लेकिन उसकी संगत ऐसी हो गई थी कि वह बाहर ही नहीं निकल सका।
शामली में सोमवार रात एसटीएफ मेरठ की चौसाना-गंगोह मार्ग पर उदपुर ईंट भट्ठे के पास कार सवार बदमाशों से मुठभेड़ हो गई। आमने-सामने की हुई फायरिंग में गोली लगने से मुस्तफा उर्फ कग्गा गैंग और मुकीम काला गैंग का शार्प शूटर एक लाख का इनामी समेत चार बदमाश मारे गए।
सहारनपुर के गंगोह निवासी अरशद, सोनीपत के रोहट गांव के मंजीत उर्फ बिल्ला उर्फ जुबैर, करनाल के मधुबन के अशोक विहार निवासी सतीश और एक अन्य गोली लगने से घायल हुआ। करनाल के अस्पताल में चारों बदमाशों की मौत हो गई जबकि गोली लगने से घायल एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील को गंभीर हालत में गुरुग्राम के मेंदाता अस्पताल में भर्ती कराया गया। चौथे बदमाश की शिनाख्त नहीं हो सकी है।
डीआईजी सहारनपुर रेंज अजय साहनी ने बताया एसटीएफ को सोमवार को सूचना मिली कि कग्गा और मुकीम काला गैंग का एक लाख का इनामी अपने तीन साथियों के साथ शामली के झिंझाना क्षेत्र के चौसाना में हरियाणा से ब्रेजा कार से लूटपाट करने जा रहे हैं। सूचना पर एसटीएफ के एसपी बृजेश कुमार ने टीम के साथ घेराबंदी की।
उदपुर ईंट भट्ठे के पास बदमाशों की कार को रुकवाने का प्रयास किया। जिस पर बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की। मुठभेड़ में चारों बदमाश घायल हो गए, जिसके बाद करनाल के अस्पताल में चारों की मौत हो गई। जबकि टीम का नेतृत्व कर रहे इंस्पेक्टर सुनील भी छाती और शरीर के अन्य स्थानों पर तीन गोली लगने से घायल हो गए।
पुलिस ने बदमाशों के पास से तीन पिस्टल, एक कार्बाइन और काफी संख्या में कारतूस बरामद किए। सूचना पर डीआईजी सहारनपुर रेंज अजय साहनी, एसपी शामली रामसेवक गौतम मौके पर पहुंचे और मामले की जानकारी ली। एसटीएफ के इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार ने चारों बदमाशों के खिलाफ झिंझाना थाने पर मुकदमा दर्ज कराया है।
डीआईजी ने कहा कि गिरोह काफी समय से वारदातों को अंजाम दे रहा था। सदस्यों के खात्मे के बाद यूपी, हरियाणा में अपराधों पर अंकुश लगेगा। जल्द एसटीएफ टीम को पुरस्कृत करने की भी घोषणा की। कहा कि चौथे बदमाश की शिनाख्त का प्रयास किया जा रहा है।
वर्ष 2011 में शामली कोतवाली क्षेत्र में करनाल के किसानों से 86 हजार रुपये लूटे थे।
वर्ष 2011 में ही पुलिस मुखबिरी के शक में अपने ही गांव के अकबर की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी। मामला गंगोह थाने में दर्ज है।
वर्ष 2013 में अरशद जेल चला गया। इसके बाद वर्ष 2024 में जमानत पर बाहर आया और वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया।
मंजीत ही अरशद का शार्प शूटर था, उसी को मदद से दोनों गैंगों को चलाया जा रहा था।
अरशद और मंजीत ने नवंबर 2024 में भारत फाइनेंस बैंक बेहट में डकैती की वारदात को साथियों के साथ अंजाम दिया था।