शामली। जिला संयुक्त चिकित्सालय में बर्न यूनिट का भवन बना हुआ है, लेकिन डेढ़ साल से अधिक समय बाद भी न तो जनरल सर्जन समेत स्टाफ की नियुक्ति हुई और न ही उपकरण पहुंचे हैं। बर्न यूनिट शुरू न होने के कारण जले हुए गंभीर मरीजों को मेरठ या दिल्ली रेफर करना पड़ता है। समय पर उपचार न मिलने से मरीज की जान जोखिम में रहती है।

जिला मुख्यालय पर गांव मुंडेट के जंगल में पूर्वी यमुना नहर किनारे जिला संयुक्त चिकित्सालय का भवन 2020 में बनकर तैयार हो गया था। जिला अस्पताल में ही अलग से बर्न यूनिट का भवन भी बनाया गया है। करीब डेढ़ साल से अधिक समय पहले यह भवन स्वास्थ्य विभाग को हैंड ओवर कर दिया गया था। लेकिन बर्न यूनिट में अभी तक भी उपचार के लिए न तो उपकरण पहुंचे हैं और न ही जनरल सर्जन समेत स्टाफ की नियुक्ति हुई है। सर्जन की नियुक्ति न होने से बर्न यूनिट चालू नहीं हो पाई है। इसके चलते जले हुए मरीजों को मेरठ या दिल्ली रेफर करना पड़ता है, जिससे मरीज की जान जोखिम में रहती है। कभी-कभी तो मरीज बीच रास्ते में ही दम तोड़ देता है।

बर्न यूनिट का भवन खाली होने के कारण वहां पर कोरोनारोधी टीकाकरण किया जा रहा है। जिला अस्पताल के भवन के अगले हिस्से में पहले कोविड टीकाकरण शुरू किया गया था, लेकिन जब से ओपीडी शुरू की गई तब से टीकाकरण के दोनों बूथ पीछे बर्न यूनिट के भवन में शिफ्ट कर दिए थे।

जिले में पटाखा व आतिशबाजी बनाने की फैक्टरियां हैं। इनमें अक्सर विस्फोट होते रहे हैं, जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है, तो अनेक लोग घायल हुए हैं। इसी साल 10 जनवरी को बुटराड़ा में पटाखा फैक्टरी में विस्फोट से महिला की जान चली गई। इसके अलावा जलालाबाद में मोमबत्ती से घर में आग लगने से दो बच्चे झुलस गए थे। इसी तरह कभी सिलिंडर में आग लगने से तो कभी अन्य किसी कारण से आग लगने की घटनाएं हुई हैं, लेकिन जिले में जले हुए मरीजों के उपचार की कोई व्यवस्था न होने के कारण उन्हें हायर सेंटर ही रेफर किया गया। ऐसे में देरी उपचार मिलने के कारण भी कई मौतें हुई।

जिला अस्पताल में बर्न यूनिट का भवन अलग से बना हुआ है। शासन से अभी तक जनरल सर्जन की नियुक्ति नहीं हुई है। जनरल सर्जन न होने के कारण बर्न यूनिट चालू नहीं हो सकी है। जनरल सर्जन व अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए शासन को कई बार पत्राचार किया गया है – डॉ. सफल कुमार, सीएमएस जिला अस्पताल।