शामली. गाजियाबाद के मोदीनगर में बुधवार को एक स्कूल की बस में हुए हादसे में 10 वर्षीय छात्र की मौत हो गई। जिस बस में हादसा हुआ, उसकी फिटेनस प्रमाण पत्र की अवधि एक साल पहले पूरी हो चुकी थी। जिले में भी करीब 150 स्कूली वाहन ऐसे हैं, जिनकी फिटनेस लगभग 16 माह पहले पूरी हो चुकी है। एआरटीओ की तरफ से दो नोटिस जारी करने के बाद भी स्कूल संचालकों ने इन वाहनों की फिटनेस नहीं कराई जा रही है। स्कूल की बसों में मानकों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वैन में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जाता है। अधिकतर बसों में फर्स्ट एड बॉक्स नहीं है। अगर है तो उसमें दवा नहीं होती। हालांकि स्कूल संचालकों का कहना है कि स्कूल के वाहनों में मानकों का पूरा ध्यान रखा जाता है।

पिछले साल कोरोना काल में स्कूलों में ऑफ लाइन कक्षाएं बंद रहने के कारण स्कूल के वाहन भी न चलने के कारण स्कूल संचालकों ने उनकी फिटनेस नहीं कराई। कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद स्कूलों में ऑफ लाइन कक्षाएं शुरू हुई तो स्कूल की बसों और वैन आदि से बच्चों को लाना व जे जाना शुरू हुआ। जिले के स्कूलों में संचालित बड़े व छोटे करीब 720 वाहन परिवहन विभाग में पंजीकृत है। इनमें करीब 150 वाहन ऐसे हैं जिनकी पिछले साल एक जनवरी 2021 को फिटनेस प्रमाण पत्र की अवधि समाप्त हो चुकी है। इसके अलावा वाहनों में कई मानकों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ज्यादातर बसों में फर्स्टएड बॉक्स नहीं है। जिनमें बॉक्स है तो उनमें प्राथमिक उपचार की दवा उपलब्ध नहीं होती। कई वाहनों में अग्निशमन यंत्र नहीं है। चालक भी निर्धारित यूनिफार्म में नहीं होते। ग्रामीण क्षेत्र और कस्बों के स्थिति ज्यादा खराब है। अधिकारी भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस तरह की लापरवाही कभी भी भारी पड़ सकती है।

ये बोले स्कूल संचालक
सिल्वर बेल्स पब्लिक स्कूल शामली के प्रधानाचार्य डॉ. एके गोयल का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले हैं। बड़ी व छोटी करीब 60 बसें हैं, सभी गाड़ियों की फिटनेस कराई गई है और मानकों का पालन किया जाता है। बसों में चालक के साथ सहायक मौजद रहता है।

स्कॉटिश इंटरनेशनल स्कूल के प्रशासनिक अधिकारी प्रदीप त्यागी ने बताया कि स्कूल में छोटे-बड़े मिलाकर 60 वाहन है। सभी वाहनों में मानकों का पालन किया जाता है। सभी वाहनों की फिटनेस कराई गई है। हर बस में चालक के साथ सहायक मौजूद रहता है।

स्कूल बस के ये हैं मानक
– वाहन का शैक्षणिक संस्था के नाम से पंजीकृत होना।
– प्रत्येक स्कूल बस के आगे व पीछे मोटे अक्षरों में स्कूल बस लिखा होना।
– स्कूल बस पर स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना।
– स्कूल बसों की अधिकतम आयु 15 साल होना।
– स्कूल बस में बच्चों की सूची, नाम व पता, ब्लड ग्रुप और रूट चार्ट उपलब्ध होना।
– स्कूल बस में चालक के अलावा बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखने के लिए सहायक का होना।
– स्कूल बस के चालक और सहायक को ड्यूटी के समय निर्धारित ड्रेस पहनना।

सुरक्षा के मानक
-बस में सीटिंग क्षमता के अनुसार अग्निशमन यंत्र होना।
– स्कूल बस में फर्स्ट एड बॉक्स होना।
-स्कूल बस की अधिकतम गति सीमा 40 किलोमीटर प्रति घंटा होना व स्पीड कंट्रोल यंत्र लगा होना।
– स्कूल बस की बॉडी स्टील की और पूरी तरह से बंद होना।
– बस का दरवाजा ठीक ढंग से बंद होना।
– प्रेशर हॉर्न या टोनल साउंड सिस्टम प्रतिबंधित होना।

जिले में करीब 150 स्कूल के वाहन ऐसे हैं, जिनकी एक साल से अधिक समय पहले फिटनेस समाप्त हो चुकी है। उनके स्कूल संचालकों को दो बार नोटिस भेजे जा चुके हैं। संचालकों से कहा गया है कि बिना फिटनेस के कोई वाहन न चलाया जाए। अगर बिना फिटनेस के कोई वाहन सड़क पर चलता मिला तो स्कूल संचालक और वाहन स्वामी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। मानकों का पालन कराने के लिए स्कूली वाहनों की जांच की जाएगी