शामली। जिले में तापमान बढ़ने और गर्म हवा चलने से बच्चों पर सबसे ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे मौसम में डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी होने का खतरा रहता है। सरकारी और निजी अस्पतालों में 40 प्रतिशत से ज्यादा मरीज उल्टी दस्त यानी डायरिया के आ रहे हैं। इसके अलावा वायरल बुखार के मरीज भी बढ़े हैं। चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे मौसम में सावधानी बरतने की जरूरत है।

जिले में मई की तरह ही जून माह में भी भीषण गर्मी पड़ रही है, इसके साथ ही गर्म हवा भी चल रही है। गर्मी बढ़ने के साथ ही लोग बीमार हो रहे हैं। खासतौर से बच्चों पर मौसम का ज्यादा प्रतिकूल असर पड़ रहा है। सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ी है। सीएचसी शामली में एक सप्ताह पहले करीब 600 मरीजों की ओपीडी हो रही थी, जो अब बढ़कर 800 के करीब हो गई है। गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा मरीज डायरिया के आ रहे हैं। बच्चों में उल्टी, दस्त और वायरल बुखार के केस ज्यादा है।

सीएचसी में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. उपकार मलिक ने बताया कि इस मौसम में बच्चों में डायरिया के केस सबसे ज्यादा है। लगभग 40 प्रतिशत से ज्यादा मरीज डायरिया के आ रहे हैं। इसके बाद वायरल बुखार, जुकाम व खांसी के मरीजों की संख्या है। उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी होने की संभावना ज्यादा रहती है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीयें और तरल पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें। शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनी रहेगी तो डायरिया होने का खतरा भी कम रहेगा।

निजी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. वेदभानू मलिक ने बताया कि गर्मी ज्यादा होने के कारण बच्चों में सबसे ज्यादा केस डायरिया के हैं और इसके बाद वायरल बुखार के मामले आ रहे हैं। जिन बच्चों में डायरिया होने पर शरीर में पानी की कमी होती है, उन मरीजों को भर्ती भी करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि डायरिया होने पर बच्चों को ओआरएस का घोल पिलाते रहे और गर्मी से बचाव के तरीके अपनाने चाहिए और चिकित्सक की सलाह से उपचार कराना चाहिए।

डिहाइड्रेशन के लक्षण

  • तेज सिरदर्द होना।
  • त्वचा सूखी होना।
  • ज्यादा देर तक पेशाब न आना।
  • पेशाब पीले रंग का आना, चक्कर आना, घबराहट महसूस होना।
  • मुंह सूखना, सुस्ती और थकान होना।
  • कमजोरी महसूस होना।

बचाव

  • धूप से बचाव के लिए सिर पर कैप या कपड़ा रखें।
  • पानी और तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करें।
  • मौसमी फल तरबूज, खरबूजा, ककड़ी आदि का सेवन करें।
  • काम करते समय पानी की बोतल साथ रखें।
  • दही और लस्सी का सेवन करें।
  • पानी में नमक डालकर पीएं।
  • डायरिया होने पर बच्चों को ओआरएस का घोल पिलाएं।
  • चिकित्सक की सलाह से उपचार कराएं।