शामली। शासन की ओर से माल-भाड़ा ढुलाई में उद्यमियों को सब्सिडी दिए जाने से जिले में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। जिले के उद्यमियों को सरकार के इस कदम से 20 से 25 प्रतिशत निर्यात बढ़ने की उम्मीद है।
जिले के औद्योगिक क्षेत्र में 300 से ज्यादा उत्पादन इकाइयां हैं। यहां निर्मित रिम-धुरा, माचिस, कागज, बर्तन उद्योग क्षेत्र की पहचान हैं। इनकी दस से बारह औद्योगिक इकाइयों हैं। इनसे माल सालाना 1000 करोड़ रुपये का दक्षिणी एवं पूर्वी अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप, जर्मनी आदि देशों में निर्यात किया जाता है। पेपर इंडोनेशिया, चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफ्रीका निर्यात किया जाता है। जिले से गुजरात और मुंबई समुद्री तटों तक उद्यमी कंटेनर से भिजवाते हैं। समुद्र से विदेशों में माल निर्यात होता है। शामली जिले के उद्यमियों को समुद्री तट पर कंटेनर से माल भिजवाने का 60 हजार से 80 हजार रुपये तक का खर्च करना होता है। उद्यमियों को राहत देने के लिए शासन ने निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के माल भाड़े में अनुदान योजना लागू की है। शासन का आदेश सभी डीएम, मंडलायुक्त और उद्यमियों को प्राप्त हो गया है। सरकार की ओर से माल-भाड़ा ढुलाई में उद्यमियों को सब्सिडी दिए जाने से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। यहां से निर्यात 20 से 25 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है। पेपर उद्यमी अशोक बंसल का कहना है कि सरकार ने निर्यातकों को छूट देकर से मृत उद्योगों में जान डाल दी है। जाहिर है कि उद्योगों को बढ़ावा मिलने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के चेयरमैन अनुज गर्ग का कहना है कि गेटवे पोर्ट तक निर्यात के लिए भेजे गए माल भाड़े में अनुदान योजना लागू होने से बढ़ावा मिलेगा। औद्योगिक क्षेत्र को विकास में पंख लगेंगे। प्रत्येक निर्यातकों को 45 हजार रुपये प्रति कंटेनर का समुद्री तट मुंबई और गुजरात तक ले जाने का खर्च आएगा। साइमा के चेयरमैन अंकित गोयल का कहना है कि शासन की ओर से माल-भाड़ा ढुलाई में उद्यमियों को सब्सिडी दिए जाने से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। जिससे नए उद्योग भी लगेंगे।
प्रदेश के निर्यातकों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई गई है। सभी औद्योगिक इकाइयों को उत्पादन स्थल से गेटवे पोर्ट तक भेजे जाने वाले माल के भाड़े पर खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए इनलैंड कंटेनर डिपो, कंटेनर फ्रेंट स्टेशन, कुछ भाग ट्रक व शेष भाग इनलैंड कंटेनर डिपो के माध्यम से भेजने पर बीस फीट के कंटेनर पर 10 हजार रुपये, 40 फीट के कंटेनर पर 20 हजार रुपये अथवा माल के भाडे पर कुल व्यय का 25 प्रतिशत की दर से आर्थिक सहायता दी जाएगी। योजना में किसी भी निर्यातक इकाई को एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।