शामली। जिले में दो वर्षों के दौरान औसत से कम बारिश होने से भूजल स्तर गिरने का खतरा बढ़ गया है। यह सूखे की स्थिति पैदा कर सकता है। गन्ना, धान व ज्वार आदि की फसलों में कीट नुकसान पहुंचाकर उत्पादन प्रभावित कर सकते हैं।
जिले में यमुना व कृष्णा बरसाती नदी सरीखी हो गई हैं। कम बारिश होने से जिले का भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। इससे जिले के सभी पांचों ब्लॉक डार्क जोन में हैं। जिनमें कैराना, कांधला व ऊन ब्लॉक अतिदोहित हैं। वहीं, शामली और थानाभवन ब्लॉक नाजुक श्रेणी में हैं। जिले में बारिश का औसत 900 मिमी है। वहीं, वर्ष 2019 में 879 मिमी और 2020 में 1005 मिमी वर्षा दर्ज की गई। जबकि वर्ष 2021 और 2022 में औसत से कम बारिश दर्ज की गई है।
फसलों में कीटों का खतरा
कृषि वैज्ञानिक डॉ. विकास मलिक का कहना है कि गन्ना, धान व ज्वार आदि फसलों के लिए मई से अगस्त तक की बारिश लाभदायक मानी जाती है। बारिश करीब 900 मिमी तक पहुंच जाए तो फसलों के लिए फायदेमंद होती है। वर्ष 2021 और 2022 में बारिश औसत से कम हुई। वर्ष 2021 में बारिश का आंकड़ा 763 मिमी रहा तथा वर्ष 2022 का यह आंकड़ा अब तक 799 मिमी रह गया है। बारिश कम होने से फसलों में कीटों का प्रभाव शुरू हो जाता है। पिछले दो सालों में कम बारिश होने से गन्ना, ज्वार और धान को नुकसान पहुंचा है। गन्ने की मोटाई और लंबाई कम हो रही है। गन्ने में बीमारियां आने से रिकवरी में गिरावट आ जाएगी। दूसरी ओर पानी का दोहन ज्यादा होने से भूजल स्तर गिरता जाएगा।
सूखे के बन सकते हैं हालात
सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. अशोक कुमार अहलुवालिया ने बताया कि बारिश कम होने तथा भूजल दोहन अधिक होने से सूखे के हालात बन सकते हैं।
जिले में बारिश के तीन साल के आंकड़े
वर्ष बारिश मिमी
2019 879
2020 1005
2021 763
2022 799
जनवरी 2022 से लेकर 20 अगस्त 2022 तक बारिश के आंकड़े
माह बारिश मिमी
जनवरी 159
फरवरी 65
मार्च शून्य
अप्रैल शून्य
मई 71
जून 72
जुलाई 392
अगस्त 40
कुल बारिश 799
बारिश के आंकड़े पूर्वी यमुना नहर खंड शामली के उपराजस्व अधिकारी अंबुज चौधरी के कार्यालय से प्राप्त किए हैं।