मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने गन्ना किसान हित में बीज अधिनियम, 1966 में वर्णित प्राविधानों के तहत एक आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार गन्ने की किस्म, गन्ने बीज की गुणवत्ता एवं विक्रय मूल्य आदि के बारे में अनियमितता पाए जाने पर गन्ना बीज उत्पादक का पंजीकरण निरस्त कर दिया जाएगा। साथ ही गन्ना बीज का दाम तय होगा। किसान संगठनों ने इसे किसान हित में बताया है।

भाकियू प्रवक्ता धर्मेद्र मलिक ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि गन्ना बीज को लेकर नए आदेश से गन्ने की कीमत, बीज की गुणवत्ता आदि सरकार के नियंत्रण में होगी। बीज विक्रेता को जिला गन्ना अधिकारी के माध्यम से गन्ना शोध संस्थान-शाहजहांपुर में पंजीकरण कराना होगा। किसानों के आपस में आदान-प्रदान पर कोई रोक नहीं है। साथ ही अनियमितता पाये जाने पर गन्ना बीज उत्पादक का पंजीकरण निरस्त कर दिया जाएगा और उसके विरुद्ध विधिक कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। यह किसान हित में अच्छा कदम है।

कहा कि पिछले वर्षो में केवल एक ही किस्म के गन्ने की बुवाई के कारण दूसरी किस्म का गन्ना किसान ने नहीं बोया। इसका नतीजा यह हुआ कि कोशा 0238 किस्म रोग के कारण फेल होने पर इस बार गन्ना किसानों के सामने बीज का संकट पैदा हो गया। बीज की मांग अत्यधिक होने के कारण नए बीज के लिए किसानों से मनमर्जी की कीमत वसूली गई। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल इसका विरोध केवल विरोध के लिए कर रहे हैं। ऐसे लोगों के बहकावे में न आएं।

किसान संगइन पीजेंट वेलफेयर वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक बालियान का कहना है कि नए आदेश के चलते अब प्रदेश में गन्ना किसानों से बीज विक्रेता मनमाना मूल्य नहीं वसूल सकेंगे। कोशा 0238 में रोग एवं कीट के बढ़ते प्रकोप के कारण नई स्वीकृत प्रजाति कोशा 13235,कोशा 14201, कोशा 15023, कोशा 0118 आदि की मांग बढ़ी है। अभी तक इन प्रजातियों के लिए किसानों से मनमानी वसूली की जा रही है। नए आदेश के चलते किसानों को अधोमानक बीज से मुक्ति मिलेगी। साथ ही दाम भी नियत होंगे। सरकार का यह कदम किसान हित में है।